कर विवाद:आयकर विभाग ने ठुकराया नोकिया का ऑफर

Last Updated 02 Dec 2013 06:52:23 PM IST

आयकर विभाग ने फिनलैंड की हैंडसेट कंपनी नोकिया की न्यूनतम 2,250 करोड़ रुपये की कर जमा करने का ऑफर ठुकरा दिया है.


आयकर विभाग

नोकिया पर 6,500 करोड़ रुपये की कर देनदारी है.

आयकर विभाग ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि नोकिया के 6,500 करोड़ रुपये की कर देनदारी में न्यूनतम 2,250 करोड़ रुपये जमा करने की पेशकश स्वीकार योग्य नहीं है. हालांकि, नोकिया इंडिया अपनी पेशकश पर टिकी हुई है.

कंपनी ने कहा है कि यह आयकर विभाग को तय करना है कि उसे प्रस्तावित पेशकश से फायदा होगा या नहीं.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ का निष्कर्ष था कि आप यानी नोकिया कुछ भी पेशकश नहीं कर रहे है.

नोकिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा, ‘हम और अधिक पेशकश करने की स्थिति में नहीं हैं.’

उन्होंने कहा कि माइक्रोसाफ्ट के साथ सौदा पूरा होने के बाद 2,250 करोड़ रुपये वह न्यूनतम राशि होगी जिसकी हमने पेशकश की है.

इससे पहले मोबाइल हैंडसेट कंपनी ने भारत में उसकी परिसंपत्तियों के स्थानांतरण पर लगे स्थगन को हटाने की मांग करते हुए कहा था कि इस रोक से उसकी 7.2 अरब डॉलर के वैश्विक सौदे के तहत अपनी भारतीय इकाई की माइक्रोसॉफ्ट को बिक्री खटाई में पड़ जाएगी. पीठ ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 9 दिसंबर तय की है. उस दिन नोकिया अपनी परिसंपत्तियों व देनदारी के ब्योरा देने के साथ यह भी बताएगी कि उसने यहां अभी तक कितना कर दिया है.

पीठ ने नोकिया इंडिया द्वारा अपनी मूल कंपनी को 18 साल के लाभांश के रूप में 3,500 करोड़ रुपये भेजने को लेकर उसकी मंशा पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि क्यों न इस राशि को वापस मंगाया जाए.

अदालत ने यह निष्कर्ष उस समय निकाला जबकि नोकिया ने कहा कि वह वैश्विक स्तर पर मोबाइल विनिर्माण कारोबार से निकल रही है, बेशक भारत में उसका संयंत्र बिकता है या नहीं.

पीठ ने कहा कि नोकिया ने पूर्व में कहा था कि वह भारत में मोबाइल विनिर्माण जारी रखेगी जबकि अब वह कह रही है कि अंतत: यहां उसकी इकाई बंद हो जाएगी. अदालत ने नोकिया से पूछा, ‘आपने 3,500 करोड़ रुपये विदेश क्यों भेजे हैं. क्या आपका इरादा यहां नकदी रखने का नहीं है. आपके पास 4,100 करोड़ रुपये की नकदी थी. जो अपने भेज दिए.’

अदालत ने कहा कि जब आयकर विभाग ने आपके बैंक खाते कुर्क किए, आप यहां आ गए. उस समय आपने स्पष्ट कहा था कि यहां विनिर्माण जारी रहेगा. अब आपके रुख में बदलाव आ गया है. ऐसे में जो राशि आपने बाहर भेजी है, क्यों न उसे वापस मंगाया जाए.

 



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