पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता का अंत नहीं

Last Updated 15 Feb 2024 01:15:32 PM IST

पड़ोसी देश पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता का कोई अंत नहीं है। हालांकि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी (Bilawal Bhutto Zardari) के प्रधानमंत्री पद की दौड़ से अपने को अलग कर लेने के बाद गठजोड़ की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन सेना के इतिहास को देखकर कहना मुश्किल है कि नई सरकार कब तक चलेगी।


पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता का अंत नहीं

चुनाव परिणाम को भी सेना ने अपने अनुसार तोड़-मरोड़ दिया जिसके कारण किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिला। चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष हुआ होता तो पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के पक्ष में जनादेश मिल सकता था। 2018 के चुनाव में भी यही हुआ था।

तब सेना ने इमरान के पक्ष में बहुमत जुटाया था क्योंकि उन दिनों सेना क्रिकेट खिलाड़ी से राजनीतिज्ञ बने इमरान पर मेहरबान थी। लेकिन बहुत जल्द सेना का इमरान से मोहभंग हो गया क्योंकि प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान ने सेनाध्यक्ष असिम मुनीर के निर्देशों को मानने से इंकार कर दिया था।

वास्तविकता यह है कि बढ़ती लोकप्रियता के कारण इमरान का दंभ सातवे आसमान पर था और  सेना सत्ता प्रतिष्ठान उनको अर्श से फर्श पर लाने के लिए कमर कस चुका था। इमरान पर तरह-तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए और उनकी पार्टी को चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहरा दिया गया।

उन्हें नीचा दिखाने के लिए देश से निर्वासित और तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ की स्वदेश वापसी का रास्ता सुलभ बना दिया गया। सेनाध्यक्ष मुनीर के नेतृत्व में चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली की गई और कुछ इस तरह का प्रबंध किया गया कि नवाज की पार्टी को भी बहुमत प्राप्त न हो।

सेना इनको भी सरकार चलाने के लिए पूरी स्वतंत्रता देना नहीं चाहती। सेनाध्यक्ष नई सरकार को कठपुतली बनाकर रखना चाहते हैं। वह सरकार और सत्ता का वास्तविक नियंत्रण सेना के पास रहे कुछ इस तरह के मॉडल विकसित करना चाहते हैं।

कहा जा सकता है कि सेना का सत्ता प्रतिष्ठान किसी भी ऐसे कद्दावर नेता को नई सरकार में शामिल नहीं होने देगा जो इमरान की तरह सेना के वर्चस्व को चुनौदी देने का साहस करे। नेशनल असेंबली में इमरान के समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने 101 सीटें जीती हैं। इन्हें सत्ता से बाहर रखकर सरकार कितने दिनों सत्ता में बनी रहती है, यह देखने वाली बात होगी।



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