टकराव नहीं सहयोग

Last Updated 09 Aug 2023 01:07:32 PM IST

संसद के उच्च सदन राज्य सभा में सात घंटे से अधिक समय तक चर्चा के बाद ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक-2023’ पारित हो गया।


टकराव नहीं सहयोग

विधेयक के पक्ष में 131 जबकि विरोध में 102 मत पड़े।  लोक सभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है। अब इस विधेयक को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। विधेयक पर चर्चा करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिस तरह से दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अधिकारियों के तबादले शुरू किए थे, उसको देखते हुए विधेयक लाना जरूरी हो गया था।

दिल्ली सरकार के विरुद्ध कई मामलों की जांच कर रही विजिलेंस को अपने अधीन रखने के लिए आप सरकार बेचैन थी ताकि भ्रष्टाचार न उजागर हो। दूसरी ओर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस विधेयक को दिल्ली के लोगों को गुलाम बनाने वाला बताया। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों का मानना है कि केंद्र सरकार के पास इस विधेयक को लाने का नैतिक अधिकार नहीं है, यह संघीय संरचना पर कुठाराघात है, वगैरह-वगैरह।

गृह मंत्री ने चर्चा के दौरान देश की राजधानी दिल्ली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, संविधान सभा में दिल्ली के अधिकार और कार्यों के बारे में चर्चा के साथ सीमित अधिकारों वाली विधानसभा के साथ 1993 में इसे राज्य का दर्जा दिए जाने का पूरा ब्यौरा दिया। जाहिर है दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, और केंद्र सरकार को संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार दिल्ली के किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है।

निस्संदेह भारत एक संघ है। संविधान के अनुच्छेद 1 में उल्लिखित है कि इंडिया जो भारत है, राज्यों का एक संघ होगा, लेकिन इसका झुकाव एकात्मक प्रणाली की ओर है। शक्तियों का विभाजन केंद्र के पक्ष में है। दक्ष राजनीतिक नेता या किसी राज्य का मुख्यमंत्री इन बातों के आलोक में ही केंद्र के साथ रचनात्मक सहयोग करके अपना शासन चलाता है।

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय कभी भी केंद्र के साथ टकराव नहीं हुआ और उन्हें हमेशा केंद्र सरकार का सहयोग और समर्थन मिलता रहा। केजरीवाल अपने अल्प राजनीतिक जीवन में इस बात को समझ नहीं पाए। केंद्र सरकार का आरोप है कि केजरवाल की सरकार भ्रष्टाचार के दल-दल में आकंठ डूबी हुई है। केंद्र सरकार के साथ अनावश्यक टकराव की परिणति यह हुई कि दिल्ली को अब शायद ही कभी पूर्ण राज्य का दर्जा मिल पाएगा। इससे अधिक नुकसान दिल्ली की जनता का हुआ। 



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