फेरबदल की अटकल
भाजपा की 16 और 17 जनवरी को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संभवत: मंत्रिमंडल का विस्तार करें।
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अटकलों के बीच मोदी ने यह कहकर मंत्रिमंडलीय सहयोगियों की धड़कन बढ़ा दी है कि जो काम नहीं कर रहा है, वह उसे आगे लेकर नहीं चल सकते। इस कड़े लहजे से उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों में जहां बेचैनी बढ़ गई हैं, वहीं मंत्रिमंडल में जगह पाने के इच्छुक भाजपा नेताओं की भी बेताबी बढ़ गई है।
मंत्रिमंडल में शामिल उनके सहयोगियों का मोदी के कथन से चिंतित होना बेवजह नहीं है। 2021 में उन्होंने जब मंत्रिमंडल का विस्तार किया था, तब भी काम को आधार बनाकर बड़ी संख्या में मंत्रियों को हटाकर नये चेहरों को मंत्री पद से नवाजा था। रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर और हषर्वर्धन जैसे वरिष्ठ मंत्रियों पर गाज गिरी थी। दरअसल, यह चुनावी साल है, जब 9 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन राज्यों से आने वाले सांसदों को मंत्रिमंडल में स्थान देकर चुनावी समीकरण बिठाने की कोशिश होगी।
कुछ वरिष्ठ मंत्रियों को हटाकर संगठन में भेजा जा सकता है, ताकि उनके संगठन कौशल का अच्छे से इस्तेमाल किया जा सके। चूंकि माना जाता रहा है कि कोई बड़ा नेता अभी पार्टी संगठन में नहीं है, इसलिए भी प्रबल संभावना है कि कुछ वरिष्ठ मंत्रियों को हटाकर संगठन में भेजा जाना पक्का है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से निश्चित ही देश भर में माहौल बना है, और विपक्षी दलों में इससे उत्साह का संचार हुआ है। भले ही विपक्ष के नेतृत्व को लेकर विपक्षी दलों में अभी कोई सर्वसम्मति नहीं है, और न ही राहुल को विपक्षी दलों ने अपना नेतृत्व सौंपने की कोई ललक दिखाई है।
फिर भी माहौल ऐसा जरूर बन गया है, जिससे चुनावी मैदान भाजपा विरोधी स्वर को समवेत होने में मदद मिलेगी। इसलिए जरूरी है कि संगठन के रूप में भाजपा ज्यादा से ज्यादा मजबूत बने। चुनावी मैदान में ज्यादा से ज्यादा चाक-चौबंद रहने की गरज से भाजपा नेतृत्व ने हर सांसद को तीन लोक सभा सीटें दे रखी है, जहां से पार्टी को जिताना उन सांसदों की जिम्मेदारी होगी। दरअसल, भाजना नेतृत्व का इरादा है कि 2024 के आम चुनाव को पूरी तैयारी के साथ लड़ा जाए और जीत के अंतर को बड़ा किया जाए। इसके लिए जरूरी है कि जनता में यह संदेश भेजा जाए कि पार्टी काम को तरजीह देती है, और इसी नैरेटिव की पुख्तगी के लिए पीएम मोदी ने दोटूक संकेत दिया है, जिसने बेशक, कुछ मंत्रियों में बेचैनी बढ़ा दी है।
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