एकजुटता ही उपाय
दुनिया अस्थिरता का संकट झेल रही है और यह स्थिति कब तक बनी रहेगी कोई नहीं जानता। इन हालात से बाहर आने का एक ही उपाय है विभिन्न राष्ट्रों की एकजुटता।
![]() एकजुटता ही उपाय |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह आह्वान कितना सामयिक है कि विकासशील देशों को साथ आकर वैश्विक, राजनीतिक और वित्तीय प्रशासन की व्यवस्था को नये सिरे से तैयार करना चाहिए। इससे असमानता दूर होगी और अवसरों में वृद्धि होगी।
वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का जोर खाद्य, ईधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों, कोविड-19 वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभावों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने पर ही केंद्रित रहा। उन्होंने नसीहत दी कि वैश्विक दक्षिण क्षेत्र को ऐसी प्रणालियों एवं परिस्थितियों पर निर्भरता के चक्र से दूर ही रहना चाहिए जो अनुरूप नहीं हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न आपदाओं से भी पूरी दुनिया त्रस्त रही है।
वक्त की मांग है कि सरल, व्यावहारिक और टिकाऊ समाधान ढूंढें जाएं जो समाज और अर्थव्यवस्थाओं में बदलाव ला सकें। मोदी ने सबमें आशावाद की भावना का संचार किया और कहा कि हमारा समय आएगा। वक्त की जरूरत है कि हम सरल, पूरा करने योग्य और टिकाऊ समाधान ढूंढें जो समाज और अर्थव्यवस्थाओं में बदलाव ला सकें। विश्व में नई ऊर्जा का सृजन करने तथा चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिक्रिया, पहचान, सम्मान और सुधार के वैश्विक एजेंडे पर चलने की जरूरत है।
सभी देशों की सम्प्रभुता का सम्मान, कानून का शासन और मतभेदों एवं विवादों का शांतिपूर्ण निपटारा करने तथा अधिक प्रासंगिक बने रहने के लिए संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की जरूरत है। उनका यह कहना कितना सटीक है कि जिन वैश्विक चुनौतियों के लिए हम कतई जिम्मेदार नहीं हैं उनके कारण ग्लोबल साउथ क्षेत्र का भविष्य सबसे अधिक दांव पर लगा है।
21वीं सदी में वैश्विक वृद्धि दक्षिण के इन देशों से आएगी। मैं समझता हूं कि अगर हम साथ मिलकर काम करते हैं तब हम वैश्विक एजेंडा तय कर सकते हैं। इन देशों की एकजुटता वक्त की फौरी जरूरत है, यूक्रेन संघर्ष के कारण उत्पन्न खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के कारण इन सबको अपनी चिंताएं साझा करनी ही होंगी।
Tweet![]() |