मुश्किल में ट्रंप
अमेरिका में दोबारा राष्ट्रपति बनने की दावेदारी हासिल करने के प्रयास में जुटे रिपब्लिकन नेता और व्यवसायी डोनाल्ड ट्रंप को एफबीआई ने जोरदार झटका दिया है।
मुश्किल में ट्रंप |
एफबीआई ने फ्लोरिडा में पाम बीच स्थित ट्रंप के निजी क्लब और निवास ‘मार-ए-लागो एस्टेट’ पर छापेमारी की। ट्रंप ने छापों को 2024 में व्हाइट हाउस पहुंचने के उनके प्रयासों में अड़ंगा लगाने वाला करार दिया है। ट्रंप ने कहा कि यह हमारे देश के लिए काला दौर है क्योंकि एफबीआई एजेंटों ने उनके घर पर छापा मारा और उसे कब्जे में ले लिया।
अमेरिका के किसी वर्तमान या पूर्व राष्ट्रपति के साथ ऐसा कुछ कभी पहले नहीं हुआ। नेशनल अर्काइव्स एंड रिकॉर्डस एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि उसे मार-आ-लागो एस्टेट के पास से गोपनीय दस्तावेज के 15 बक्से इस साल की शुरु आत में मिले थे। नेशनल अर्काइव्स का कहना है कि ट्रंप ने पद से हटने पर इन दस्तावेज को फेंक दिया होगा।
नेशनल अर्काइव्स ने ही न्याय विभाग को इसकी जांच करने को कहा था। इसी जांच में अब तेजी आ गई है। पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कि क्या इन गोपनीय दस्तावेज के यहां पहुंचने के पीछे ट्रंप की कोई भूमिका है। यह सब कुछ ऐसे वक्त में हो रहा है जब ट्रंप पर 2020 में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को कथित तौर पर पलटने की कोशिशों के खिलाफ ग्रैंड ज्यूरी की जांच चल रही है।
ट्रंप ने चुनाव में हार को स्वीकार करने से मना कर दिया था। उनके चार साल के शासन के दौरान भी एफबीआई और संसदीय कमेटियां उनके खिलाफ जांच कर रही थीं। ट्रंप और उनके समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का नतीजा है। डेमोक्रेटिक पार्टी उन्हें 2024 का चुनाव जीतने से रोकने की कोशिश कर रही है। ट्रंप का आरोप है कि ऐसा हमला तीसरी दुनिया यानी गरीब और विकासशील देशों में ही हो सकता है।
व्हाइट हाउस का कहना है कि उन्हें छापों के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी। एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर व्रे को पांच साल पहले ट्रंप के शासन में ही नियुक्त किया गया था। अमेरिका में गोपनीय दस्तावेज के प्रशासन और देखभाल से जुड़े बहुत सारे संघीय कानून हैं। इस तरह के दस्तावेज को व्हाइट हाउस से बाहर ले जाना और गैर-आधिकारिक जगहों पर रखना अपराध है। बड़बोले ट्रंप को दोषी पाए जाने पर इस मामले में सजा भी हो सकती है।
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