बदलेगी कांग्रेस!
कांग्रेस कार्यसमिति की हालिया बैठक में एक बार फिर पार्टी को जुझारू तेवर के लिए तैयार करने की बात कही गई।
बदलेगी कांग्रेस! |
ज्ञातव्य है कि असंतुष्ट गुट के नेताओं की मांग पर यह बैठक बुलाई गई थी। कुछ समय से देश की सबसे पुरानी पार्टी की जो खस्ताहाल स्थिति है, वह जगजाहिर है। एक तरफ जहां भाजपा लगातार ऊंचाई की ओर अग्रसर है तो इसके उलट कांग्रेस अवसान पर है। पार्टी का असंतुष्ट खेमा भी पार्टी की नीतियों को लेकर आलाकमान पर हमलावर है।
लिहाजा बैठक के विवादित होने का डर भी था। हालांकि ऐसा कुछ हुआ नहीं मगर एक बात जरूर चौंकाने वाली थी। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जिस तरह पार्टी के विचारों से अलहदा सोच रखने वाले असंतुष्टों को चेताया, उससे पार्टी के आगे की तस्वीर साफ कर दी है।
सोनिया की चेतावनी का आशय बिल्कुल स्पष्ट था कि पार्टी से नाखुश गुट मीडिया की बजाय मुझसे अपनी बात रखे और दूसरा अंतरिम अध्यक्ष से सोनिया गांधी पूर्णकालिक अध्यक्ष बन गई यह उसी बैठक में पता चला। दरअसल, कांग्रेस दिनोंदिन जिस तरह से पराजय-दर-पराजय झेल रही है, उससे पार पाना नामुमकिन नहीं तो दुष्कर जरूर है, लेकिन इसके लिए पार्टी आलाकमान को बड़ा दिल दिखाना होगा।
हां, राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने का संकेत जरूर बैठक में दिखा। यानी आगे चलकर राहुल ही पार्टी के सव्रेसर्वा होंगे। वैसे यह काम भी एक वर्ष बाद ही होगा। तब तक पार्टी का नेतृत्व सोनिया गांधी ही करेंगी। दरअसल, पार्टी को मजबूती से खड़ा करने के लिए सबसे पहले संगठन पर काम करना होगा। साथ ही पार्टी के उन वरिष्ठ नेताओं की आवाज को भी संजीदगी से सुनना होगा।
नि:संदेह पार्टी के पास इस वक्त प्रियंका गांधी के तौर पर बड़ा चेहरा है लखीमपुर की घटना के बाद देश ने उनके जुझारूपन को देखा भी है। इन सबके बावजूद पार्टी को खुले मन से हर किसी की बात को सुनना होगा। अपने व्यवहार को लचीला बनाना होगा। वैसे गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष होने की बात अभी दूर की कौड़ी ही दिखती है। कुल मिलाकर पार्टी के लिए अगले कुछ माह बेहद अहम साबित होंगे। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव में पार्टी का बहुत कुछ दांव पर है। हां बड़बोले नेताओं पर भी नजर रखनी होगी। यह बात याद रखनी चाहिए कि अनुशासन ही सफलता का मूल मंत्र है।
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