भाजपा को झटका
निस्संदेह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रथयात्रा की अनुमति संबंधी याचिका का खारिज होना भाजपा के लिए बड़ा झटका है।
भाजपा को झटका |
न्यायालय ने यह भी टिप्पणी कर दी कि इसमें हिंसा की आशंकाएं निराधार नहीं हैं। हालांकि उसने सभाओं और रैलियों की स्वतंत्रता की बात करते हुए भाजपा को अपनी प्रस्तावित यात्रा का परिवर्तित कार्यक्रम अधिकारियों को देने और उनसे मंजूरी लेने को कहा है। इसका मतलब हुआ कि भाजपा ने अपनी रथयात्रा को जो कार्यक्रम न्यायालय के सामने रखा था, उस पर वह राज्य सरकार के जवाब से सहमत है। प्रदेश सरकार ने अलग-अलग जिलों से ऐसी रिपोर्ट दी है जिसमें यात्रा से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की बात है।
किंतु न्यायालय को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा का भी ध्यान रखना था। इसलिए उसने प्रदेश सरकार को भी कह दिया है कि वह अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार के मद्देनजर भाजपा के परिवर्तित कार्यक्रम पर विचार करे। भाजपा अपनी यात्राओं के लिए ममता सरकार की कृपा पर निर्भर हो गई है। वस्तुत: रथयात्रा जिस तरह तनाव और टकराव का कारण बनी हुई है, उसमें यह उम्मीद करना मुश्किल है कि ममता सरकार आसानी से परिवर्तित रथयात्रा की भी अनुमति देगी। वह रैलियों और सभाओं के संदर्भ में भी न्यायालय की टिप्पणी को आधार बनाकर इन्हें बाधित करने की कोशिश कर सकती है। न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि भाजपा को तर्कसंगत तरीके से माहौल खराब होने की आशंकाओं को दूर करने के लिए सभी संभव कदम उठाने होंगे।
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों के बाद भाजपा के सामने कोई चारा नहीं है। कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने अनुमति दे दी तो युगल पीठ ने राज्य सरकार की दलील स्वीकार कर अनुमति के आदेश को निरस्त कर दिया। भाजपा ने अपना कार्यक्रम भी बदलकर 40 दिन से 20 दिन कर दिया है। तो देखना होगा ममता बनर्जी सरकार उसकी भी अनुमति देती है या नहीं। हालांकि किसी प्रदेश में देश पर शासन करने वाली पार्टी को राजनीतिक कार्यक्रम के लिए इतना संघर्ष करना पड़े यह स्थिति हैरत में डालती है। किसी भी राजनैतिक दल को कानून और संविधान के दायरे में अपना प्रचार करने का अधिकार है और कानून व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेवारी है।
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