सेना सतर्क और चौकस

Last Updated 17 Jan 2019 04:34:50 AM IST

सामरिक मोर्चे पर पाकिस्तान और चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सैन्य बल कितने सतर्क और सक्षम हैं, हमारी युद्ध और रक्षा नीति क्या है, इस बारे में सेनाध्यक्ष बिपिन रावत के बयान से देशवासियों की जिज्ञासा शांत हुई है।


सेना सतर्क और चौकस

उन्होंने सेना दिवस के अवसर पर जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी सेना एलओसी पर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दे रही है। उन्हें भारी नुकसान पहुंचा रही है।

दरअसल, पिछले कुछ वर्षो से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में जो तल्खी आई है, उसे देखते हुए सेनाध्यक्ष का यह बयान महत्त्वपूर्ण है। हालांकि उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिये बिना सीधे-सीधे कहा कि पश्चिमी सीमा से लगा पड़ोसी देश अब भी आतंकवाद का समर्थन कर रहा है। मैं सीमा पर दुश्मनों को चेतावनी देता हूं कि हम शत्रुतापूर्ण कार्रवाई के खिलाफ कड़े कदम उठाने से नहीं हिचकेंगे।

सेना दिवस जैसे विशेष अवसरों पर सेनाध्यक्ष रावत का यह बयान रस्मी और अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने वाला भी हो सकता है। लेकिन पड़ोसी पाकिस्तान जिस तरह आतंकी समूहों को लगातार प्रशिक्षण और हथियार देकर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, ऐसे में सेनाध्यक्ष बिपिन रावत का पाकिस्तान को दी गई खुली चेतावनी को एक और सर्जिकल स्ट्राइक से जोड़कर देखा जाना चाहिए।

इस बारे में दावे के साथ तो कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन एक और सर्जिकल स्ट्राइक की संभावना को खारिज भी नहीं किया जा सकता। सेनाध्यक्ष ने चीन की सीमा पर भी शांति और सौहार्द बनाए रखने के प्रयासों का भी जिक्र किया, लेकिन देश को यह भी आस्त किया कि पूर्वी क्षेत्र में सीमा की निगरानी में कोई समझौता नहीं करेंगे। भारत की चीन से लगती सीमा पर भारत 44 सड़कों का निर्माण करने जा रहा है। इन सड़कों को सामरिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। जाहिर है इनसे भारत की सामरिक शक्ति में बढ़ोतरी होगी।

भारतीय सेना के बेड़े में शामिल दो तोप-एम-777 और के 9 वज्र को सेना दिवस के अवसर पर आयोजित परेड में प्रदर्शित किया गया। यह बताता है कि भारतीय सेना किसी स्थिति से और किन्हीं भी चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय सेना का आधुनिकीकरण हो रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार बहुत धीमी है। चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए हमें अपनी रक्षा तकनीक को और उन्नत करना होगा। इस लिहाज से हमें ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को और ज्यादा प्राथमिकता देनी होगी।



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