खत्म हो गतिरोध

Last Updated 26 Feb 2018 02:43:52 AM IST

आम आदमी पार्टी और आईएएस अधिकारियों के बीच गतिरोध फिलहाल खत्म होता नहीं दिख रहा है.


खत्म हो गतिरोध

दोनों पक्ष अपने-अपने तकरे की बुनियाद पर खुद को पाक साफ होने का आधार भले दे रहे हों, मगर इस विवाद के चलते राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कामकाज लगभग ठप है.

आश्चर्य की बात है कि जिस जनता से जुड़े मसले पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को बुलाया गया था, अब वही मसला पीछे हो गया है. जनता से जुड़े फैसले जस-के-तस पड़े हुए हैं और सिर्फ सियासत चमकाई जा रही है. दिल्ली के आईएएस, दानिक्स और दास कैडर के अधिकारियों में भय का माहौल है.

चूंकि पूर्व में भी इस तरह की वारदात आप नेताओं द्वारा हुई है, लिहाजा अधिकारियों ने साफ तौर पर अपनी सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता में रखा है. कैबिनेट सचिव से मुलाकात में अधिकारियों और कर्मचारियों के संयुक्त फोरम ने फिर से निजी गरिमा और सुरक्षा का मुद्दा उठाया. सामान्य सी बात है कि सरकारी काम आपसी तालमेल और नियमों के तहत किए जाते हैं. लेकिन जिस तरह से ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं और खुलेआम मुख्यमंत्री की मौजूदगी में अधिकारियों को पीटने तक की धमकी दी जा रही है, उससे सरकार में शामिल लोगों की मंशा का पता चलता है.

आम आदमी पार्टी भले जांच को आधार बनाते हुए अधिकारियों से काम पर वापस आने की बात करे, किंतु सरकार की तरफ से अधिकारियों की मांगों-मुख्यमंत्री से माफी मांगने-पर फिलहाल सरकार का रुख ठंडा है और बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में केंद्र और राज्य सरकार जुटी है. किसी भी सरकार और सूबे के लिए इस तरह की खींचतान अफसोसनाक है और सरकार को इस समस्या का स्थायी हल ढूंढने की महती जरूरत है.

दिल्ली की सत्ता पर काबिज सरकार और उनकी महज कुछ साल पुरानी पार्टी को संवैधानिक तकाजों, नियमों और सरोकारों को गहरे तक जानने, समझने और उसके मुताबिक अमल करने की आवश्यकता है. ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई सरकार या सत्तासीन पार्टी के विधायक अधिकारी को ऊलजुलूल मांगों को मनवाने के लिए उसके साथ मारपीट और हिंसा करेंगे? अफसर-सरकार की कड़ी को मजबूती देने के बजाय अगर इस सिद्धांत से अलग रास्ता अख्तियार करने से सिर्फ सरकार का इकबाल ही जर्जर होता है. मजबूत लोकतंत्र के लिए ऐसा आचरण निहायत निंदनीय है.



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