कटौती की मार

Last Updated 24 Feb 2018 04:05:01 AM IST

इंपलाईज प्रावीडेंट फंड आर्गजनाइजेशन (ईपीएफ) ने ब्याज दर घटाकर 2017-18 के लिए 8.55 प्रतिशत कर दी है. 2016-17 के लिए यह 8.65 प्रतिशत रही है.


कटौती की मार

यानी दशमलव दस बिंदु की गिरावट की गई है. करीब छह करोड़ कर्मचारी इस फैसले से प्रभावित होंगे. गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में गिरावट लगातार दर्ज की जा रही है. वि अर्थव्यवस्था में तो नकारात्मक ब्याज दर का जिक्र तक शुरू हुआ यानी जो बैंक जमा रखेगा, वह ब्याज देगा नहीं, ब्याज लेगा.

तर्क साफ है कि बैंकों को जमा की जरूरत नहीं है, उनके पास काफी जमा राशि है. भारत में 8.55 प्रतिशत निश्चित ब्याज दर अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से बहुत शानदार रिटर्न है, पर उन कर्मिंयों के लिए तो यह निराशा का ही सबब है, जिन्होंने अभी के मुकाबले ऊंची ब्याज दरें अतीत में देखी हैं.

जाहिर है लगातार कम होती ब्याज दरों के माहौल में कर्मिंयों के प्राविडेंट फंड के लिए अलग से ब्याज ज्यादा रखने के तर्क नहीं हैं. अब समय आ गया है कि प्राविडेंट फंड के निवेश के लिए  नये विकल्पों की खोज की जाए और उनके बारे में निवेशकों को, कर्मिंयों को शिक्षित किया जाए. भविष्य निधि सामाजिक सुरक्षा का इंतजाम है, ताकि बुढ़ापे में बंदे के पास इतनी रकम रहे कि खाने-पीने का सही इंतजाम हो जाए. पेंशन फंड भी ऐसा ही इंतजाम है.

नेशनल पेंशन फंड स्कीम तहत एक निश्चित रकम शेयर बाजार, म्यूचअल फंड में लगाने का प्रावधान है. प्राविडेंट फंड के मामले में निवेशकों को, कर्मिंयों को म्यूचअल फंड के बारे में बताया जाए.

प्राविडेंट फंड में बीस से तीस साल तक का निवेश होता है. शेयर बाजार में निवेश करने वाले म्यूचअल फंड पक्के तौर पर जोखिम वाले होते हैं, पर समझने की बात यह है कि लंबी अवधि में जोखिम कम हो जाती है. और निवेशक आराम से दस से पंद्रह प्रतिशत के रिटर्न हासिल कर सकते हैं सेंसेक्स या निफ्टी आधारित मुचुअल फंड में निवेश करके. सेंसेक्स और निफ्टी आधारित म्यूचअल फंड में निवेश का आशय उन कंपनियों में निवेश से है, जो सेंसेक्स या निफ्टी सूचकांक में सूचीबद्ध हों.

जाहिर है  इन सूचकांकों में सूचीबद्ध कंपनियों से एक न्यूनतम स्तर की गुणवत्ता की उम्मीद की जा सकती है. ज्यादा रिटर्न मिलने से निवेशकों, कर्मिंयों का भी भला होगा और सरकार पर भी दबाव कम होगा कि पीएफ की ब्याज दर बढ़ाई जाए. पर पीएफ का निवेश इंडेक्स आधारित म्यूचअल फंडों में एक प्रक्रिया के तहत किया जाए और इसके लिए तमाम कर्मिंयों और निवेशकों को वित्तीय तौर पर साक्षर किया जाए.



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