आरबीआई से सवाल
पंजाब नेशनल बैंक-मेहुल चौकसी-नीरव मोदी घपले पर रु दन चल ही रहा है कि रोटोमैक पैन से जुड़े कोठारी परिवार के करीब 3,700 करोड़ रु पये के घपले के समाचार आ रहे हैं.
आरबीआई से सवाल |
फर्जी दस्तावेज से अरबों रु पये सरकारी बैंकों से लिये गए हैं.
इन बैंकों की सूची में सबसे ऊपर बैंक ऑफ इंडिया है, जिसने करीब 755 करोड़ रु पये दिए हैं बतौर कर्ज. 2008 से कोठारी कुनबे को दिए गए कजरे में गड़बड़ियां चल रही हैं. कर्ज कोई और वजह बताकर लिया गया और उसे कहीं और लगा दिया गया. जो सरकारी बैंक अपने दफ्तरों में पैन तक बांध कर रखते हैं, उनके खजाने बेईमान कारोबारियों के लिए खुले रहे. जाहिरन यह सब किन्हीं ठोस वजहों से हुआ होगा. भ्रष्टाचार व निकम्मापन भी इन वजहों में शामिल हैं.
खैर, सवाल है कि रोटोमैक के कोठारी कुनबे को दिए गए कजरे में गड़बड़ियों को किसी सत्र पर पकड़ा क्यों नहीं जा सका. करीब दस सालों तक अंकेक्षण की त्रिस्तरीय व्यवस्थाओं के बावजूद ये गड़बडियां पकड़ में क्यों ना आ पाई. हर बैंक में आंतरिक अंकेक्षक होते हैं, जिनका काम पड़ताल करना होता है कि सब खाता-बही हिसाब-किताब तय मानकों के हिसाब रखा जा रहा है, या नहीं. फिर बैंकों का सालाना अंकेक्षण बाहरी अंकेक्षक द्वारा भी किया जाता है.
सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ नियमों के हिसाब से हो रहा है, या नहीं. रिजर्व बैंक भी अपने स्तर पर जांच पड़ताल करता है कि बैंकों में नियमों का पालन हो रहा है, या नहीं. तीनों स्तर पर धरपकड़ ना हो पाई. आखिर, अंकेक्षक कर क्या रहे थे? आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 ने बैंकों के डूबत कजरे से निपटने के लिए चार आर की बात की थी-रिकग्निशन यानी पहचान, रिकैपिटलाइजेशन यानी पुर्नपण्जीकरण, रिजोल्यूशन यानी निपटारा और रिफॉर्म यानी सुधार. इन चार का आशय है कि पारदर्शिता के साथ जो डूबत कर्ज हैं, उन्हें डूबत मान लिया जाए, लीपापोती ना की जाए.
बैंकों को नई पूंजी दी जाए. कजरे का निपटारा किया जाए, हिसाब-किताब निपटाया जाए. पूरी व्यवस्था में सुधार किया जाए. इन चार की महत्ता फिर से रेखांकित हो गई है हालिया घोटालों से. जरूरी है कि इनमें एक और आर यानी रेगुलेशन भी जोड़ा जाए. रिजर्व बैंक से भी पूछा जाए कि यह सब चल कैसे रहा था? चोर जब नये-नये तरीकों से चोरी करने में जुटे हुए हैं, तो उन्हें नियंत्रण करने के नये-नये तौर-तरीके ईजाद क्यों नहीं किए जा रहे? रिजर्व बैंक को इस सवाल का जवाब जल्द-से-जल्द देना चाहिए.
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