कब होगी साफ?
गंगा नदी को निर्मल और अविरल बनाने का ऐलान एक बार फिर केंद्र ने किया है. सफाई के लिए तमाम तारीखों और परियोजनाओं के बाद मंत्री नितिन गडकरी ने अब नई तारीख 2019 बताई है.
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गडकरी के मुताबिक मार्च 2019 तक 80 से 90 फीसद काम पूरा हो जाएगा और इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे.
गौरतलब है कि 2016 में एक साथ वाराणसी और हरिद्वार से ‘नमामि गंगे मिशन’ की 231 परियोजनाओं की शुरुआत बड़े जोर-शोर से की गई थी. इससे पीछे की तरफ लौटते हैं. नवम्बर 2014 में मंत्री उमा भारती ने वाराणसी में कहा था कि गंगा का काम 3 साल में दिखने लगेगा और 48 दिनों में योजनाएं टेक ऑफ ले लेंगी.
लेकिन दो साल तक जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हुआ. तो यक्ष प्रश्न यही कि हर तरह की कसरत करने के बावजूद गंगा मैली क्यों है? आंकड़े बताते हैं कि गंगा एक्शन प्लान की जब शुरुआत हुई थी 1985 में तब से लेकर 2015 तक करीब 22 हजार करोड़ रुपये सफाई के नाम पर खर्च हो चुके हैं, जिसमें गंगा एक्शन प्लान का फंड, जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन और वि बैंक द्वारा दिया गया कर्ज शामिल है.
इतनी भारी धनराशि लगाए जाने के बावजूद गंगा स्वच्छ क्यों नहीं हो पा रही है? इसकी जवाबदेही कभी तय क्यों नहीं हुई? सिर्फ दोनों हाथों से गंगा को साफ, निर्मल और अनवरत बहने देने के फलसफे की आड़ में बेदर्दी से अनुदान को लूटा गया है. साथ ही बेहतर परिणाम आने की सिर्फ तारीख-पे-तारीख दी जा रही है.
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर गुस्सा जताया था कि पिछले तीस सालों में गंगा की सफाई के लिए कोई काम नहीं हुआ है. जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में यह आासन दिया था कि सरकार 2018 तक महत्त्वाकांक्षी नमामि गंगे मिशन को पूरा करेगी. यानी देश की शीर्ष अदालत में कही गई बातों को भी हल्के में लिया जा रहा है. गंगा पर सरकार का काम उसके नारों से बिल्कुल उलट है.
जबकि यह प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है. अभी तो अधिकांश जगहों पर नालों का मुंह गंगा की तरफ खुलता है. कई जगहों पर गंगा का जल तेजाब हो चुका है. और जब तक गंदे पानी को गंगा में जाने से नहीं रोका जाएगा, जब तक आस्था और भावना से ज्यादा गंगा की पवित्रता पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक जन-जन की प्यारी मां गंगा इसी तरह सिसक-सिसक कर दम तोड़ देगी. सो, हर किसी को युद्धस्तर पर जुट जाना होगा. यह सिर्फ सरकार के जिम्मे का काम नहीं हर भारतीय का धर्म है.
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