सुविधा और सरलता
सरकार पब्लिक प्रावीडेंट फंड योजना में यह छूट देने जा रही है, जिसके तहत पांच साल से पहले भी इस खाते को बंद कराया जा सकेगा. अभी पब्लिक प्रावीडेंट फंड के खातों को पांच सालों से पहले बंद नहीं कराया जा सकता.
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ऐसी अफवाहें थीं कि पब्लिक प्रावीडेंट फंड जैसी बचत योजनाओं पर कर छूट बंद होने वाली है. ठीक है कि सरकार ने ऐसी अफवाहों पर रोक लगा दी है अपनी तरफ से स्पष्टीकरण देकर. छोटी बचत योजनाओं को लेकर भी कुछ घोषणाएं सामने आई हैं.
छोटी बचत योजनाओं में पोस्ट ऑफिस बचत खाता, नेशनल सेविंग्स मंथली इनकम, नेशनल सेविंग्स आवर्ती जमा, सुकन्या समृद्धि खाता और पब्लिक प्रावीडेंट फंड शामिल है. सरकार ने यह साफ किया है कि इन योजनाओं को मिल रही कोई भी छूट खत्म नहीं होगी, बल्कि उन्हें बढ़ाया जाएगा. छोटी बचत के खाते अवयस्क के नाम पर भी खोले जा सकेंगे. यह स्पष्टीकरण स्वागत योग्य है.
वित्तीय मामलों की नींव में भरोसा होता है. ये सारी बचत योजनाएं सरकार से ताल्लुक रखती हैं. समय-समय पर इस तरह की अफवाहें आती रहती हैं कि सरकारी बैंकों के जमा खातों में जमा रकम का इस्तेमाल सरकारी बैंकों को डूबत खातों की भरपाई के लिए किया जाएगा. या सरकार पब्लिक प्रावीडेंट फंड को मिलनेवाली कर छूट को खत्म करने जा रही है. इस तरह की अफवाहों को अगर समय रहते ना खंडित किया जाए, तो उनसे बहुत नुकसान होने की संभावना होती है.
पब्लिक प्रावीडेंट फंड में पांच साल से पहले खाता बंद करने की सुविधा एक ओर तो बचतकर्ता को एक सहूलियत देती है. पर यहां यह भी विचारणीय है कि क्या इस तरह की सुविधा से सामाजिक सुरक्षा की स्थितियां सुदृढ़ होंगी या कमजोर होगी.
ऐसा देखने में आता है कि मध्यम वर्ग कर बचाने के चक्कर में कुछ बचत ऐसी करता है, जिसे जबरदस्ती की बचत या जबरन करायी बचत भी कहा जा सकता है. पर एक दिन यह बचत सामाजिक सुरक्षा के माध्यम के तौर पर सामने आती है.
सुविधा देना बहुत अच्छी बात है पर यह ना हो जाए कि बचतकर्ता अपनी सामाजिक सुरक्षा का हर रास्ता अवरु द्ध कर ले. इसके लिए जरूरी है कि वित्तीय साक्षरता का व्यापक प्रचार-प्रसार हो. बचतकर्ता को पता हो कि उसके हित कहां सुरक्षित हैं? वह दबाव के चक्कर में बचत ना करे बल्कि अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ही बचत करे. इसके लिए व्यापक वित्तीय साक्षरता अभियान छेड़े जाने की जरूरत है.
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