जीएसटी दरें घटीं
वस्तु और सेवा कर यानी जीएसटी परिषद द्वारा एक साथ 29 वस्तुओं एवं 54 सेवाओं को सस्ता करने का अर्थ है कि सरकार अनुभवों एवं प्रतिक्रियाओं का ठीक प्रकार से संज्ञान ले रही है.
जीएसटी दरें घटीं |
इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि जीएसटी दरों में आने वाले समय में और बदलाव हो सकता है.
पिछले वर्ष नवम्बर में एक साथ व्यापक पैमाने पर दरों में कटौती हुई थी और यह माना गया था कि अब आगे सरकार लंबे समय तक दरों में कमी के लिए कोई प्रस्ताव नहीं लाएगी. कितु ऐसा नहीं हुआ. हालांकि कई आर्थिक विशेषज्ञ यह चेतावनी दे रहे हैं कि जीएसटी दरों का निर्धारण यदि राजनीतिक दबाव के तहत किया गया तो इससे देश की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल असर हो सकता है.
आखिर देश का सारा कामकाज कर राजस्व से ही तो चलता है. अगर कर राजस्व घट गया तो फिर खर्च के लिए धन की कमी हो जाएगी. राज्यों को होने वाली क्षति की पूर्ति का जिम्मा तो केंद्र ने ले लिया है. लेकिन केंद्र को क्षति होगी तो फिर उसकी पूर्ति कहां से होगी? वर्तमान फैसले से 1000 करोड़ से 1200 करोड़ राजस्व की कमी आ सकती है.
बावजूद इसके तत्काल हम यह मानकर चल रहे हैं कि सरकार ने जमीनी हालात का जायजा लेकर काफी सोचने-समझने के बाद ये फैसले लिये होंगे. वैसे जीएसटी परिषद ने पुराने वाहनों, कन्फेक्शनरी और बायोडीजल सहित 29 वस्तुओं के साथ कुछ जॉब वर्कस, दर्जी की सेवाएं और थीम पार्क आदि में प्रवेश सहित 54 श्रेणी की सेवाओं पर जो दर घटाई है, वह देखने में तार्किक लगती है.
इसमें कई वस्तुओं एवं सेवाओं के कारोबार को प्रोत्साहित करने का विचार शामिल हो सकता है. हालांकि जिन वस्तुओं और सेवाओं को लेकर अभी तक केंद्र एवं राज्यों के बीच असहमति बनी हुई और पूरा देश उसके बारे में फैसले की प्रतीक्षा कर रहा है, उन पर बैठक से कुछ न निकलना बताता है कि मामला कितना कठिन है.
खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि परिषद की अगली बैठक में कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल, विमान ईधन एटीएफ और रीयल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है. ये ऐसे क्षेत्र हैं, जिनसे राज्य अपने अधिकार और लाभ पूरी तरह त्यागने को तैयार नहीं हैं. इसलिए इन पर सहमति जरा मुश्किल है. इसी कारण जीएसटी में आए इस बदलाव को आधा-अधूरा कहा गया.
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