न हो हिंसा

Last Updated 04 Jan 2018 01:24:54 AM IST

महाराष्ट्र में भड़की हिंसा दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण एवं चिंताजनक है. प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच का आदेश दे दिया है.


महाराष्ट्र में भड़की हिंसा

उम्मीद करनी चाहिए कि हिंसा के पीछे का सच सामने आ जाएगा. किंतु पूरे प्रकरण को देखने से लगता है कि यह हिंसा अपने-आप पैदा नहीं हुई है.

कुछ लोगों ने जानबूझकर ऐसी स्थिति पैदा की जिससे टकराव की नौबत आए और फिर उसे बढ़ावा भी दिया. 1 जनवरी 1818 को ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों पेशवा बाजीराव द्वितीय की पराजय हुई जिससे मराठा राज का अंत हुआ. इस युद्ध में स्थानीय महार अंग्रेजों के पक्ष में लड़े थे. पिछले कई दशकों से दलितों का एक वर्ग उसे शौर्य दिवस के रूप में मनाता है.

दलितों के साथ जितना अमानवीय व्यवहार उस दौरान होता था उसमें उनके अंदर पेशवा शासन के खिलाफ गुस्सा स्वाभाविक था. आज उसे शौर्य दिवस के रूप में मनाना चाहिए या नहीं इस पर निश्चित तौर पर दो राय हो सकती है. किंतु 1 जनवरी 2018 उस युद्ध की 200 वीं बरसी थी. उसे बड़े पैमाने पर मनाने की योजना कुछ संगठनों ने बनाई थी.

वहां के कार्यक्रम में जिग्नेश मेवाणी, उमर खालिद आदि ने जिस तरह का भाषण दिया उससे दूसरे वर्ग में उत्तेजना पैदा हुई थी. पहली नजर में यह प्रशासन की विफलता दिखाई देती है जिसने स्थिति को संभालने का पर्याप्त पूर्वोपाय नहीं किया. किंतु विचार करने वाली बात है कि आखिर कोरेगांव भीमा में हुई मारपीट कैसे प्रदेश के अन्य जिलों में हिंसा में परिणत हो गया?

उसके बाद प्रदेश बंद का भी आह्वान हो गया और हमने देखा कि उस दौरान किस तरह की हिंसा होती रही. निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को जिस पैमाने पर क्षति पहुंचाई गई उसके पीछे निश्चय ही ऐसे तत्वों की भूमिका होगी जो प्रदेश में जातीय तनाव भड़काए रखना चाहते हैं. पूरे मामले में सबसे घृणित भूमिका कुछ राजनीतिक दलों की है.

उन्होंने लोगों से शांति की अपील करने या अपनी पार्टी को शांति स्थापना के लिए काम करने का निर्देश देने की जगह केवल आरोप लगाए. ऐसे समय, जब किसी कारण से भी तनाव भड़का हो, एक-एक दल और संगठन का दायित्व बनता है उसे रोकने का. सियासी मोर्चाबंदी तो बाद में भी हो सकती है. तो पूरा दारोमदार प्रदेश सरकार एवं स्थानीय लोगों पर ही जाकर टिकता है.

सरकार हिंसा रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाए तथा स्थानीय लोग यह समझें कि शांति और सद्भाव में ही सबका भला है. अपील है कि दलित एवं मराठा समुदाय के विवेकशील लोग आगे आएं और तनाव को दूर करने की पहल करें.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment