फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव
फ्रांस के राष्ट्रपति पद के चुनाव की ओर पूरी दुनिया की नजर लगी हुई है.
फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव |
कौन विजीत होकर फ्रांस की सत्ता संभालेगा इसका फैसला 7 मई को होने वाले दूसरे दौर के चुनाव के बाद ही हो सकेगा, किंतु पहले दौर के चुनाव परिणाम से कुछ बातें साफ हई हैं. इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण यह कि इस समय दुनिया में आतंकवाद और उसके लिए मुसलमानों को दोषी मानने की जो धारा बह रही है फ्रांस भी उससे गहरे प्रभावित है.
यह बात ठीक है कि मध्यमार्गी इमैन्युअल मैक्रों ने पहले दौर में बाजी मारी है, लेकिन धुर दक्षिणपंथी नेता सुश्री मैरीन ली पेन का दूसरे स्थान पर आना कम महत्त्वपूर्ण नहीं हैं. उन्होंने राष्ट्रपति बनने पर मस्जिदें बंद करने और मुसलमानों को बाहर निकालने के नारों के साथ चुनाव लड़ा है. वो चुनाव जीतें या नहीं, फ्रांस की अभी दूसरी सबसे शक्तिशाली नेता बन गई हैं.
हालांकि चुनाव में तीसरे और पांचवे स्थानों पर आने वाले मसलन कंजरवेटिव और सोशलिस्ट उम्मीदवारों ने हार स्वीकार करते हुए अपने समर्थकों को मैक्रों को समर्थन देने को कहा है. दोनों उम्मीदवारों ने कहा कि दूसरे राउंड में सुश्री ली पेन की जीत रोकना जरूरी है क्योंकि उनकी अप्रवासी और यूरोप विरोधी नीतियां फ्रांस के लिए घातक हैं. चौथे स्थान पर आने वाले उम्मीदवार से भी यही उम्मीद है कि वो ली पेन जैसे धुर दक्षिणपंथी को समर्थन नहीं करेंगे.
वर्तमान राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने भी अंतत: मैक्रों को ही समर्थन देने की अपील कर दी है. इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि दूसरे दौर में मैक्रों संभवत: बाजी मार ले जाएंगे. दुनिया भी इस समय यही चाहेगी कि मैक्रों ही फ्रांस की सत्ता संभालें. मैक्रों ओलांद की सरकार में वित्त मंत्री थे और उन्होंने पिछले साल ही त्यागपत्र देकर अपनी पार्टी बनाकर धूम मचा दिया.
उनको सबसे ज्यादा 23.7 प्रतिशत मत मिलना सामान्य बात नहीं है. यह मैक्रो का ही कमाल है कि फ्रांस के इतिहास में पहली बार मुख्य लड़ाई से दोनों पार्टयिां बाहर है. हालांकि, माना जाता है कि अगर ओलांद ने चुनाव न लड़ने की घोषणा न की होती तो स्थिति दूसरी होती. उनके न होने से ही सत्ताधारी सोशलिस्ट पार्टी को केवल 6 प्रतिशत मत मिले. इसके हिस्से का मत मैक्रो के पक्ष में चला गया.
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