सांसद पर रार
एयर इंडिया के वरिष्ठ कर्मी की चप्पलों से पिटाई का मामला फिलहाल लंबा खिंचता दिख रहा है.
सांसद पर रार |
शुरुआत में जहां सांसद की करतूत पर उनकी पार्टी शिवसेना का रुख अस्पष्ट था. मगर बाकी पार्टियों के एयर इंडिया के खिलाफ मुखर होने से शिवसेना को भी बल मिला और वह बिना देरी किए अपने सांसद के कृत्य को ढकने-दबाने के काम में जुट गई.
विडंबना है कि संसद में मौजूद पार्टियों ने सही-गलत का आकलन किए बिना शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ के बर्ताव को यह कहकर सही ठहराने की दलील पेश की कि एयर इंडिया के कर्मचारी ने सांसद को ऐसा करने को उकसाया. अब सांसदों की इस ‘जुगलबंदी’ पर क्या कहा जा सकता है. नैतिकता के कुछ तकाजे होते हैं.
सांसदों-विधायकों के व्यवहार हमेशा आदर्श की कसौटी पर देखे और परखे जाते हैं. सराहना करनी होगी नागरिक उड्डयन मंत्री गजपति राजू की जिन्होंने विमानन कंपनी के फैसले को वक्ती तौर पर सही कहा. जबकि शिवसेना और बाकी दल उल्टे एयर इंडिया के एक्शन को संविधान और कानून के खिलाफ बता रहे हैं. जब संसद में हंगामा और बाकी दलों के कुतकरे से भी बात नहीं बन पाई तो शिवसेना ने विमानन कंपनियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश कर दिया.
हालांकि, फिलवक्त ऐसा नहीं लग रहा कि सांसद को संसदीय विशेषाधिकार का संरक्षण हासिल हो सकेगा! एडीआर के आंकड़े भी माननीयों के बर्ताव की गवाही देते हैं. देश में 1258 विधायक और 186 सांसदों के खिलाफ बदसलूकी समेत कई मामले चल रहे हैं. वैसे भी सत्र के दौरान या गाहे-बगाहे भी सांसदों के व्यवहार की चर्चा होती रहती है. कई बार उनकी अनुशासनहीन बर्ताव को एथिक्स कमिटी के पास भी विचार के लिए भेजा गया है.
मगर सांसदों में वो बात देखने को नहीं मिलती है, जिसकी उम्मीद जनता उनसे करती है. खुद को नियम-कानून और तमाम तरह के संवैधानिक दायित्वों से ऊपर उठकर अगर कोई जन प्रतिनिधि सार्वजनिक तौर पर मारपीट करता दिखेगा तो आम जन से किस आदर्श व्यवहार की आशा की जाए? उम्मीद है कि सरकार अपने उस फैसले पर अडिग रहेगी कि सांसद को ‘उड़ने’ न दिया जाए. वक्त की मांग तो यह भी संकेत कर रही है कि सदन के चलने के दौरान भी अनुशासनहीन माननीयों पर कार्रवाई हो.
Tweet |