असभ्य आचरण
कहते हैं सत्ता व्यक्ति को निरंकुश बना देती है. शिवसेना के सांसद रवींद्र गायकवाड़ के आचरण को देख कर कुछ ऐसा ही अभास होता है.
असभ्य आचरण |
बिजनेस क्लास का टिकट रहते इकोनॉमी क्लास में बैठा दिए जाने की ‘गुस्ताखी’ एयर इंडिया के कर्मचारी को भारी पड़ गई. दुखद है कि 25 बार चप्पलों से पीटे जाने के अनैतिक आचरण को सांसद जायज ठहराते नहीं अघा रहे हैं. सांसदों का व्यवहार आम जन के सामने कितना मुलायमियत भरा रहता है, यह जानना भी दुष्कर नहीं है.
ऐसे अनेकों अमर्यादित, अनैतिक और अशिष्ट व्यवहार-चरित्र की ‘गाथाएं’ लोकतंत्र की फिजा को सुशोभित करती रहीं हैं. इस प्रकरण ने भी जनप्रतिनिधियों के लोक-चरित्र को उघाड़कर रख दिया है.
गरिमामय व्यवहार, उत्तम विचार, मृदु वाणी जैसे आचार-विचार रवींद्र गायकवाड़ या उन्हें आदर्श मानने वाले सांसदों के लिए बेकार हैं. इन्हें तो बस अभिमान है, उस पद और सत्ता का, जो जनता ने ही उन्हें बख्शा है. फिर ऐसे सत्ता के मद में चूर सांसदों को किस बात की चिंता? क्या यही अपना प्रौढ़ लोकतंत्र और उसके सिपहसलार हैं, जिनका आचरण अब गर्व करने के बजाय डराता ज्यादा है.
आमतौर पर आचरण और व्यवहार किसी भी शख्स का सबसे बड़ा परिचय होता है. लेकिन गायकवाड़ के ‘चप्पलमार’ आचरण ने जनता के उस भ्रम को बुरी तरह चकनाचूर कर दिया है कि, नेता का मतलब हर किसी के बारे में अच्छा सोचने वाला शख्स. यही वजह है कि सांसदों के व्यवहार से जनता में नाराजगी है.
यह हालात तब ज्यादा संड़ाध मारने लगते हैं, जब नेता जनता से ज्यादा अपने स्वार्थ को तरजीह देने लगते हैं. देखना होगा कि कुल 18 मामलों में आरोपित जिस बड़बोले सांसद के खिलाफ एयर इंडिया के कर्मचारी को पीटने का मुकदमा दर्ज किया गया है, उसे गिरफ्तार कब किया जाता है? हां, कुल पांच उड़ान कंपनियों से प्रतिबंधित किए जाने से इनकी ‘उड़ान’ पर रोक लगे, मगर ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई निहायत जरूरी है.
वैसे, देश के हर मसले पर अपनी सलाह देने वाली शिवसेना क्यों अभी तक अपने सांसद के बर्ताव पर ठंडा रुख अपनाए है, यह भी काबिलेगौर है. ऐसा नहीं है कि सांसदों या विधायकों के आचरण को लेकर पहले चर्चा न हुई हो. अभी कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांसदों से बेहतर व्यवहार प्रदर्शित करने की अपील की. वहीं, लोक सभा अध्यक्ष ने भी सदन में सांसदों के बर्ताव पर नाराजगी जाहिर की थी. तो, ऐसे लोगों को वैभवशाली सभ्यता का आचरण सिखाने का वक्त आ गया है.
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