ट्रंप के मायने

Last Updated 24 Jan 2017 05:35:55 AM IST

हाल के दौर में किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के पहले-दूसरे दिन ही इस कदर विरोध प्रदर्शनों की लहर की याद नहीं आती.


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)

शपथ ग्रहण के अगले ही दिन लगभग उसी जगह उससे भारी जुटान वाला महिला मोर्चा भी निकला. समूचे अमेरिका में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ट्रंप भी अपनी ओर से उदार लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति किसी तरह नरमी नहीं दिखा रहे हैं, बल्कि अपने तीखे बयानों से उन मूल्यों को पलट देने का वादा ही कर रहे हैं.

राष्ट्रपति पद संभालने के पहले ही दिन व्हाइट हाउस से प्रेस के खिलाफ तीखे बयान जारी किए गए और कहा गया कि ट्रंप सरकार बेबुनियाद खबरों पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाएगी. आरोप यह है कि प्रेस के कुछ हलके में ट्रंप और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के शपथ ग्रहण समारोह में उमड़ी भीड़ की तुलना वाली तस्वीरें जारी की गई और यह दिखाने की कोशिश की गई कि ट्रंप के समर्थन में उतने लोग नहीं जुटे.



बहरहाल, अमेरिका के अलावा ट्रंप को लेकर दुनिया भर में एक तरह का भय और उत्सुकता का माहौल है. उनके \'माइ वे\' जैसी तमाम घोषणाओं से भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग पर भारी असर पड़ने की आशंका है.

ट्रंप ने ऐलान किया है कि उनके लिए सबसे पहले अमेरिका का हित है और वे वहां की नौकरियों को खत्म करके दूसरे देशों के लोगों को नौकरी देने का सारा कारोबार उलट देंगे. लेकिन मोटे तौर पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था और जीवन-शैली को जानने वाले यह भी जानते हैं कि वहां से बुनियादी उत्पादन का काम इसलिए दूसरे देशों में भेजा गया, ताकि उन्हें प्रदूषण की समस्याओं से न्यूनतम जूझना पड़े.

इसी तरह जो कॉल सेंटर और सॉफ्टवेयर निर्यात हमारे यहां से अमेरिका में होता है, वैसा बुनियादी कामकाज अमेरिकी जीवन-शैली में महंगा पड़ेगा. फिर भी अगर अमेरिका में नए तरह के फैसले होते हैं तो हमारे उद्योगों पर कुछ असर पड़ सकता है. लेकिन इन नई स्थितियों से अमेरिका में खुद काफी समस्याएं होने वाली हैं क्योंकि वहां बुनियादी उत्पादन के उद्योगों को बाहर करने का सिलसिला कई दशकों से चल रहा है. ट्रंप वैश्विक समीकरणों को भी उलट-पुलट सकते हैं इसलिए उनकी नीतियों के खुलने का इंतजार करना चाहिए.

 

 



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