अपूर्णीय क्षति

Last Updated 07 Dec 2016 04:52:32 AM IST

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का असामयिक निधन प्रदेश की राजनीति में गहरे शून्य पैदा करेगा.


तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का असामयिक निधन

उनकी लोकप्रियता और खासकर दक्षिण भारत के राज्यों की व्यक्ति-पूजा पर आधारित राजनीति को देखते हुए कहा जा सकता है कि नव-निर्वाचित मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम के लिए इस शून्यता को भरना आसान नहीं होगा.

जयललिता अपनी बात को बहुत प्रभावी ढंग से रखने वाली और दृढ़ निश्चयी राजनेता थीं.

तमिल राजनीति की स्वीकार्य धारा के खिलाफ पांच बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनना उनके सख्त और दृढ़ निश्चयी स्वभाव का प्रमाण है. ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद के विरोध से ऊर्जा संचय करने वाली द्रविड़ राजनीति में ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई जयललिता को काफी विरोध भी सहना पड़ा.

लेकिन उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया और एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद साबित कर दिया कि अन्नाद्रमुक की सर्वमान्य नेता वही हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत कीं, जिनमें गरीबों को मुफ्त इलाज की व्यवस्था भी शामिल थी.

इसी योजना के चलते उन्हें ‘अम्मा’ कहा जाने लगा. राजनीति में उपहार की नीति ने अम्मा को प्रदेश का सबसे लोकप्रिय राजनेता बना दिया. राशनकार्ड धारकों को 20 किलो चावल मुफ्त देने की कल्याणकारी योजनाओं के लिए उन्हें याद किया जाएगा.

तमिलनाडु की राजनीति में लंबे अरसे से दो क्षेत्रीय दलों-द्रमुक और अन्नाद्रमुक का न केवल वर्चस्व रहा है, बल्कि दोनों के बीच व्यक्तिगत रंजिश और बदले की भावना से कार्रवाई करने की कई मिसालें रही हैं. जयललिता ने इस बदले की राजनीति को बढ़ावा देते हुए विपक्षी नेता करुणानिधि को एक घोटाले के आरोप में आधी रात को पुलिस के हाथों गिरफ्तार करवा दिया था. हालांकि उन्हें भी आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में जेल जाना पड़ा. बावजूद इसके वह अपने समर्थकों के दिलों में राज करती रहीं.

अपनी पार्टी और जनता के हित में कई दुस्साहसिक फैसले भी किए. 1998 में उन्होंने वाजपेयी सरकार को सशर्त समर्थन किया जिसमें प्रदेश की द्रमुक सरकार की बर्खास्तगी शामिल थी. जब वाजपेयी इस शर्त को पूरा नहीं कर पाए तो समर्थन वापिस लेने में उन्होंने देर नहीं की. वाजपेयी सरकार महज एक वोट से गिर गई. राजनीति की इस  विशिष्ट अक्खड़ शैली के लिए उन्हें प्रदेश और केंद्र के इतिहास में वर्षो तक याद किया जाता रहेगा.
 



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