स्पष्टीकरण तो जरूरी
नोटबंदी जैसे बड़े मौद्रिक फैसले पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और सरकार की आर्थिक नीतियों के लिए जिम्मेदार तमाम अफसरों से संसदीय समितियों की जवाब-तलब का फैसला जरूरी है.
स्पष्टीकरण तो जरूरी |
सरकार का दावा है कि काले धन और नकली नोटों के गोरखधंधे पर इससे चोट पड़ेगी और लंबे दौर में आम आदमी की सहूलियतें बढ़ेंगी.
वह देश की अर्थव्यवस्था में भी इसके दीर्घकालिक असर का दावा कर रही है. हालांकि अर्थशास्त्रियों की राय इस पर बंटी हुई है. ज्यादातर जाने-माने अर्थशास्त्री इससे बहुत लाभ होता नहीं देखते, बल्कि निचले स्तर पर इसके गंभीर कुपरिणामों की चेतावनी दे रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन तो इस कदम को अबूझ बता रहे हैं. उन्हीं की तरह अमत्र्य सेन इसे नरेन्द्र मोदी का अहंकारी फैसला करार दे रहे हैं, जिस पर ढंग से सोचा-विचारा नहीं गया.
यह तो सरकारी और सरकार समर्थक अर्थशास्त्री भी मान रहे हैं कि नोटबंदी के पहले इंतजामात पुख्ता नहीं किए गए. इस फैसले के बाद चौथे हफ्ते में भी जैसे पूरा देश परेशान है, जैसे देश में हर छोटी-बड़ी आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है, जैसे हर क्षेत्र में छंटनी का दौर शुरू हो गया है, उसका असर भयावह नतीजे लेकर आ सकता है.
अगर हम समूचे देश को बैंक की कतारों में खड़े होने और करीब 100 लोगों के जान गंवा बैठने की बातों को दरकिनार भी कर दें तो इससे होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई में काफी वक्त लगने की आशंका है.
रिजर्व बैंक और सरकार को लगभग हर रोज नए आदेश जारी करने पड़ रहे हैं या पुराने आदेशों में संशोधन करना पड़ रहा है. इसका मतलब है कि तैयारी पूरी नहीं की गई और लोगों को परेशान होने के लिए छोड़ दिया गया.
हालात यह है कि महीना लग गया है और वेतनभोगी लोग महीने के जरूरी खचरे के लिए पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं. जिनके घरों में शादी-ब्याह है या खेती-किसानी करनी है, उनके लिए तो और बड़ी दिक्कत है. नए नोट के जो आंकड़े अब तक उपलब्ध हैं, उनसे कतई नहीं लगता कि 30 दिसम्बर तक हालत पटरी पर आ जाएगी.
इसी तरह पुराने 500 रु. और 1000 रु. के नोटों को बैंक में जमा कराने के आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा रहा है कि लगभग 90-95 फीसद तक नोट वापस हो जाएंगे. ऐसा होता है तो काला धन या नकली नोट बाहर करने के सरकार के दावे बेमानी हो जाएंगे. इसलिए सवाल तो पूछा जाना ही चाहिए.
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