हमलावर ममता
तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब नए मसले को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर हैं.
हमलावर ममता |
एक दिन पहले जिस विमान से ममता कोलकाता जा रहीं थीं, उसका तेल खत्म हो जाने के बाद भी उस विमान को लैंडिंग की इजाजत देने में देरी की गई. इस कृत्य को उनकी पार्टी ने ममता की साजिशन हत्या करने जैसे गंभीर आरोप के साथ केंद्र पर मढ़ा.
जब तक इस घटना के बारे में साफ तौर पर कुछ पता लग पाता तब तक तृणमूल ने सूबे की सरकार को बिना बताए पश्चिम बंगाल सचिवालय और कई जिलों में सेना की तैनाती का आरोप लगा दिया. यहां तक कि ममता ने सेना की तैनाती को तख्ता पलट से जोड़कर हंगामा काट दिया. लेकिन सेना ने दस्तावेज जारी कर ममता के आरोपों की धार को कुंद कर दिया.
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सेना को ‘अनावश्यक विवाद’ में घसीटा जा रहा है. दरअसल, नोटबंदी के फैसले के बाद से ही ममता बनर्जी ज्यादा आक्रामक हैं. नोटबंदी के समूचे विपक्ष का नेतृत्व कर रहीं ममता को लगता है कि अगर इस वक्त भाजपा सरकार के फैसले का विरोध नहीं किया गया तो आगे चलकर उनकी सत्ता भी कमजोर पड़ सकती है.
ममता की यह आशंका इसलिए ज्यादा सच के करीब है कि पिछले महीने पश्चिम बंगाल में हुए उप चुनाव में भले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई हो. मगर इसके बावजूद भाजपा की मत फीसद पिछले चुनाव के मुकाबले बढ़ा है. तृणमूल के भाजपा के खिलाफ कड़े तेवर के पीछे यह वजह भी हो सकती है.
दूसरा अहम तथ्य यह कि नोटबंदी के विरोध में जिस तरह भारत बंद के आह्वान के बाद कई सारे दल छिटक गए, उससे भी ममता परेशान दिखती हैं. ममता की राजनीतिक शैली को जानने-समझने वाले कहते हैं कि वह थोड़ी जिद्दी और जज्बाती नेता हैं. नोटबंदी के फैसले के विरोध में उन्होंने इसकी बानगी भी दिखाई. मगर सिर्फ अहम के टकराव को सामने रखकर राजनीति करने से हर किसी को बचना चाहिए. ममता इस ‘लक्ष्मण रेखा’ को कई बार पार करती भी दिखीं.
खासकर, सेना के अभ्यास को लेकर उन्होंने जिस सतहीपन का परिचय दिखाया है, वह उनके जूझारू नेता की छवि से बिल्कुल उलट है. उन्हें परिपक्वता दिखानी होगी और सियासी विरोध में सेना को नाहक खींचने से बचना होगा. हां, उनकी पार्टी ने अगर किसी तरह की जांच की मांग की है तो सरकार को आगे बढ़कर उस जांच का आदेश भी देनी चाहिए. इस मोड़ पर यह जरूरी लगता है.
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