बर्ड फ्लू का कहर
पहले चिकनगुनिया फिर डेंगू के बाद अब बर्ड फ्लू दिल्ली और आसपास के लोगों को चिंता में डाले है.
बर्ड फ्लू का कहर |
हालात इतने खराब हैं कि दो दिन पहले तक दिल्ली सरकार के पशुपालन मंत्री गोपाल राय बेफिक्र रहने का भरोसा जनता को दे रहे थे, अब कह रहे हैं कि हालात खराब हैं.
दिल्ली में अब तक 58 पक्षियों की मौत हो चुकी है. यह आंकड़ा थोड़ा परेशान करने जैसा है. वाकई, राजधानी दिल्ली की फिजा माकूल नहीं है. कहीं से भी नहीं है. सिविक सिस्टम लगभग पंगु हो चुका है.
अदालत के हस्तक्षेप और डांटने के बाद भी किसी की चेतना जाग नहीं रही है. लगातार पक्षियों की मौत ने सरकार के साथ ही जनता को भी भयभीत कर रखा है. चूंकि, बर्ड फ्लू का सबसे ज्यादा असर चिकन पर होता है.
लिहाजा खान-पान के मामले में जनता को जागरूक करने की जिम्मेदारी ज्यादा अहम है. फिलहाल तो सरकार का ज्यादा ध्यान पक्षियों की मौत को हर हाल में रोकने को लेकर है. पक्षियों पर एंटी वायरस का छिड़काव, विटामिन की गोलियां समेत तमाम उपाय किए भी जा रहे हैं.
लेकिन जिस तरह से यह फैलता जा रहा है, सरकार के लिए दुारियां भी ज्यादा बढ़ती जा रही है. साथ ही, वन्यजीव विशेषज्ञों को इस बात की चिंता है कि अगर वायरस की चपेट में प्रवासी पक्षियों आ गए तो इस पर रोक लगाना बहुत कठिन हो जाएगा.
चिंता ज्यादा गहरी इस नाते है कि सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षी काफी संख्या में प्रजनन के लिए भारत आते हैं. पहले भी हमने देखा है कि ऐसे मामले तेजी से बढ़ते और पल भर में पक्षियों को अपनी चपेट में ले लेते हैं.
हां, अच्छी बात यह है कि जो एच5एन8 वायरस नमूने में पाए गए हैं, उससे किसी इंसान के प्रभावित होने का कोई रिकार्ड नहीं है. अब सरकार का ज्यादा जोर एहतियात बरतने को लेकर होना चाहिए.
जनता में भी यह संदेश गंभीरता से पहुंचाने की जरूरत है. स्वास्थ्य निर्देशिका जारी करने में भी हीला-हवाली नहीं करनी होगी. अफवाहों पर लगाम लगाने को लेकर एक स्क्वायड का गठन जितनी जल्दी हो सके करनी चाहिए.
साथ ही अस्पतालों में भी जरूरी सुविधाएं और इलाज में कारगर और विशेषज्ञों की तैनाती सुनिश्चित करनी होगी. हमें यह समझना होगा कि एहतियात ही बीमारियों से दो-दो हाथ करने का एकमात्र विकल्प है. सो, सतर्क और सजगता जरूरी है.
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