बिखराव का मुकाम

Last Updated 24 Oct 2016 05:19:03 AM IST

समाजवादी पार्टी के ताजा घटनाक्रम अब इस मुकाम पर पहुंच चुके हैं, जहां से वापसी की राह बेहद संकरी लगती है.


बिखराव का मुकाम

बेशक, सपा के पितामह मुलायम सिंह यादव कई बार बेहद मुश्किल स्थितियों से उबरने के लिए जाने जाते रहे हैं. उन्होंने कई मौकों पर ऐसे सूत्र निकाल लेने का जज्बा भी दिखाया है, जो बाकी लोगों के लिए असंभव-सा लगता रहा है.

फिर भी यह कहना गैर-मुनासिब नहीं होगा कि चुनाव की इस बेला में अगर कोई ऐसी आश्चर्यजनक राह निकल भी जाती है, जहां एक बार फिर सब साथ हो लेंगे, तब भी पार्टी के जनाधार में अविश्वास और अनिश्चय का माहौल बना रह सकता है. लेकिन \'नेताजी\' के सामने तो सबसे बड़ा सवाल सरकार को बचाने या गंवाने का हो सकता है.

आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बुलाई सभा में बहुमत से काफी कम ही विधायक मौजूद थे. अगर पार्टी दो फाड़ होती है तो अखिलेश के लिए सरकार बचाना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में एक तरह से केंद्रीय या राष्ट्रपति शासन में चुनाव होंगे, जो सपा के किसी धड़े के लिए मुफीद-सी स्थिति नहीं हो सकती है.

सरकार बच भी गई तो अफसरशाही उसकी बात शायद ही सुने. वैसे, जितने कड़े फैसले और तीखी बयानबाजी आज दिन भर में दोनों तरफ से हो गई है, उससे वापसी की राहें बंद होती लग रही हैं. हालांकि बैठकें जारी हैं और पार्टी के कुछ पुराने नेता पार्टी को टूट के कगार से वापस लाने में लगे हैं. यह देखना ऐसे में दिलचस्प हो सकता है कि मुलायम के पास क्या विकल्प बचते हैं.



दरअसल, पार्टी में यह तनाव बिहार चुनाव के पहले समाजवादी दलों के एका और बिहार में महागठबंधन के दौर से ही चलता आ रहा है. शायद पार्टी में इसी टकराव को रोकने के लिए मुलायम महागठबंधन से बाहर आने को मजबूर हुए थे. इस झगड़े में भाजपा और कांग्रेस के सूत्र तलाशना भी आसान है. लेकिन असली सवाल यह है कि जीवन भर काफी संघर्ष से बनाई पार्टी को बिखरते देखना मुलायम के लिए बेहद दुखद होगा.

इस उम्र में आकर वे वह चुनौती तो नहीं झेल सकते कि फिर से पार्टी को नया जीवन दे दें. यह भी देखना है कि शिवपाल और अखिलेश धड़ों के गणित क्या हैं! अखिलेश को शायद लगता है कि उनके पक्ष में एक किस्म की सहानुभूति पैदा हो सकती है और युवा तथा पुराने समाजवादी उनके साथ आ सकते हैं. लेकिन शिवपाल की ओर से खुद मुलायम होंगे तो जनाधार में अनिश्चय बना रहेगा. खासकर मुसलमानों का साथ तो सपा फौरन गंवा सकती है.

 

 

संपादक की कलम से


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment