अब बचना मुश्किल

Last Updated 30 Sep 2016 01:01:54 AM IST

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों को लागू करने से लगातार बचने का प्रयास कर रहा है.


अब बचना मुश्किल

लेकिन सुप्रीम कोर्ट के रुख से लगता है कि अब बोर्ड के लिए इन सिफारिशों से बचने के सभी रास्ते बंद होते जा रहे हैं.

असल में सुप्रीम कोर्ट ने जब लोढ़ा समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था, तब बीसीसीआई को इन्हें लागू करने के लिए छह माह का समय दिया था, लेकिन बीसीसीआई के पदाधिकारियों के व्यवहार से लग रहा था कि वह इस सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने के मूड में नहीं हैं.

लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा फटकार के बाद लगने लगा है कि बीसीसीआई के पास अब कोई खास विकल्प नहीं बचे हैं. पर ऐसा लगता है कि बीसीसीआई सिफारिशें पूरी तरह से लागू करने से पहले सभी कानूनी विकल्प आजमा लेना चाहती है. इस लिहाज से क्यूरेटिव पिटीशन का विकल्प अभी बचा हुआ है.

इस मामले में आईसीसी से सहयोग मिलने का भरोसा था. आमतौर पर खेलों में किसी तरह के हस्तक्षेप को अंतरराष्ट्रीय खेल संगठन स्वीकार नहीं करते हैं और ऐसा होने पर संगठन की मान्यता खत्म करने की धमकी दी जाती रहीं हैं.

लेकिन आईसीसी के इस संबंध में कोई सहयोग करने से इनकार करने से साफ हो गया था कि बीसीसीआई को लोढ़ा पैनल की सिफारिशें लागू करनी ही पड़ेंगी. बोर्ड ने यदि सिफारिशों को लागू करने के ईमानदारी से प्रयास किए होते तो उसे थोड़ी बहुत छूट भी मिल सकती थी.

पर बोर्ड द्वारा लगातार मामले को लटकाने का प्रयास पर अदालत को कहना पड़ा है कि आप सिफारिशें लागू करें अन्यथा हमें सिफारिशें लागू कराना आता है. लोढ़ा समिति की कई सिफारिशें बीसीसीआई ने लागू भी कर दी हैं. लेकिन उसे एतराज एक व्यक्ति एक पद, 70 साल से ज्यादा के व्यक्ति को पदाधिकारी नहीं बनाना और एक राज्य एक मत पर है.

इसके अलावा लोढ़ा समिति की चयन पैनल तीन सदस्यीय करने और सभी चयनकर्ताओं को टेस्ट खेलने का अनुभव होने की सिफारिश का उल्लंघन करने ने आग में घी डालने का काम किया है. जो भी है बीसीसीआई को इन सिफारिशों से बचने का कोई तरीका नजर नहीं आ रहा है.



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