सोशल इंजीनियरिंग में सेंध

Last Updated 24 Aug 2016 05:11:57 AM IST

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में विपक्ष खासकर भारतीय जनता पार्टी की सेंधमारी जारी है.


बसपा प्रमुख मायावती (फाइल फोटो)

स्वामी प्रसाद मौर्य और आर के चौधरी जैसे बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद अब राज्य सभा सांसद रहे ब्रजेश पाठक ने हाथी की सवारी छोड़कर कमल का फूल थाम लिया. खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश में चुनावी रैली का आगाज आगरा में जिस तरीके से बसपा ने किया और उस रैली में जैसी भागीदारी पाठक की रही, ठीक उसके एक घंटे बाद ही पाठक ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया.

हालांकि, इसकी पटकथा दो साल पहले ही लिखी जा चुकी थी, फिर भी इस झटके से मायावती थोड़ी विचलित जरूर हुई होंगी. एक तो पाठक मायावती के निकटतम थे और दूजा पार्टी में सतीश चंद्र मिश्र के बाद कद्दावर ब्राह्मण चेहरा भी थे. उनके बसपा छोड़ने से यह संदेश प्रचारित हो रहा है कि सूबे में चुनावी माहौल बनाने में पार्टी पिछड़ रही है. इससे पहले विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता रहे पिछड़ी जाति के स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा का दामन थामा था.

मगर पाठक और मौर्य-चौधरी के पार्टी छोड़ने के बाद दिए गए तकरे में अंतर दिखता है. स्वामी और चौधरी ने जहां पार्टी छोड़ने की वजह मायावती पर रुपये लेकर टिकट बेचने की बताई, वहीं पाठक ने सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पर हमला बोला. हां, बसपा में ब्राह्मणों की उपेक्षा पर वह ज्यादा आक्रामक दिखे.



वैसे, चुनाव बाद सरकार गठन में किसकी जरूरत किसे पड़ जाए, इस लिहाज से भी इसे देखने और समझने की जरूरत है. तो, सवाल इसी बिंदु पर आकर टिक जाता है कि भाजपा क्या बसपा की \'सोशल इंजीनियरिंग\' के फार्मूले को तहस-नहस करने पर उतारू है? चूंकि, मायावती ने ब्राह्मण-दलित गठजोड़ की बदौलत सत्ता प्राप्त किया, इस कारण उनके लिए ब्राह्मण वोट की अहमियत समझी जा सकती है.

यह सच है कि मायावती के साथ दलित वोटर स्थायी रूप से जुड़ा है और पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में जाने की कवायद को पार्टी हल्के में ले रही है और इसे \'प्रतीकात्मक दलबदल\' की संज्ञा दे रही है. इस बात की पुष्टि खुद पाठक भी करते हैं. लेकिन बसपा में ब्राह्मणों के तिरस्कार के मसले पर जिस तरह से पाठक ने बयान दिए हैं, वह यह बताने को काफी है कि भाजपा की रणनीति क्या है? यह भी संकेत हैं कि बसपा से अभी और भी नेता पिंड छुड़ा सकते हैं. सो, प्रदेश में ऊंट किस करवट बैठेगा, इसके लिए तो फिलहाल अगले वर्ष मार्च तक इंतजार करना होगा.

 

 



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