अब बस कीजिए
जेंटलमैन गेम क्रिकेट में दो भारतीय दिग्गजों के बीच बयानबाजी ने खेल प्रेमियों को थोड़ा निराश जरूर किया है.
फाइल फोटो |
टीम इंडिया के मुख्य कोच न बन पाने की कसक जहां पूर्व क्रिकेटर रवि शास्त्री की बयानबाजी से जगजाहिर हो चुकी है, वहीं शास्त्री की बातों का अपने ही अंदाज में चयन समिति के सदस्य और पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली ने जवाब दिया है. मगर सवाल इससे बड़ा है. दोनों धुरंधरों की सार्वजनिक बयानबाजी ने इतना तो साफ कर ही दिया कि दुनिया की सबसे मजबूत क्रिकेट टीम का कोच न बन पाने की टीस शास्त्री को है.
वैसे, अच्छी बात यह है कि कोच बने अनिल कुंबले के चयन पर किसी भी कोने से विरोध की बात नहीं हुई, लेकिन गांगुली बनाम शास्त्री की बयानबाजी ने जरूर चयन का जश्न फीका कर दिया. बात चूंकि, गांगुली के इंटरव्यू के दौरान नामौजूदगी की भले की जा रही हो, किंतु इसके लिए शास्त्री का बैंकाक में होने को भी खेल और व्यक्ति की गंभीरता के चश्मे से देखा-परखा गया.
दरअसल, जब शास्त्री ने गांगुली पर अपने इंटरव्यू के वक्त कोलकाता बंगाल क्रिकेट संघ की बैठक में जाने को मुद्दा बनाया तो गांगुली ने भी पटलवार कर यह कहा कि, शास्त्री अगर कोच पद की गरिमा का ख्याल रखते तो उन्हें बैंकाक में छुट्टियां मनाने के बजाय साक्षात्कार में मौजूद रहना चाहिए था. हालांकि, गांगुली भले अपनी नामौजूदगी को बेहद जरूरी बता रहे हों, लेकिन मुख्य कोच की नियुक्ति के लिए क्रिकेट सलाहकार समिति के एक अन्य सदस्य सचिन तेंदुलकर का मौजूद न रहना भी कम हैरानी भरा नहीं है; क्योंकि गांगुली की तरह सचिन भी लंदन में स्काइप के जरिये साक्षात्कार के लिए जुड़े थे.
तो सवाल यह कि शास्त्री गांगुली पर ही क्यों हमलावर हुए? वह इसलिए क्योंकि रवि और गांगुली के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे. एक साल पहले गांगुली टीम डायरेक्टर की दौड़ में रवि शास्त्री से पिछड़ गए थे. बहसबाजी तो अपनी जगह है, लेकिन खेल को आगे बढ़ते रहना है. हां, पिछले एक साल से टीम के कोच पद पर रहे शास्त्री के जाने के बाद कुंबले को भी अपने चयन को जायज ठहराना होगा. आगामी वेस्टइंडीज दौरे में इस बात की परीक्षा भी होगी. तब तक इस \'जेंटलमैन गेम\' को वैसा ही बना रहने दीजिए.
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