घाटी में आतंक

Last Updated 27 Jun 2016 05:57:49 AM IST

पांपोर में आतंकवादियों द्वारा भारतीय रिजर्व पुलिस बल या सीआरपीएफ के काफिले पर किए गए हमले में आठ जवानों के शहीद और 20 के घायल होने से पूरे देश में क्षोभ और गम का माहौल है.


पांपोर में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमला.

 


 लश्कर-ए-तैयबा के प्रवक्ता द्वारा स्थानीय समाचार एजेंसी को वक्तव्य भेजकर इसकी जिम्मेवारी लेना साबित करता है कि इसकी साजिश सीमा पार से रची गई थी. जिस ढंग से मस्जिद के पास एक मोड़ के निकट यह हमला हुआ, उससे साफ पता चलता है कि यह सुनियोजित था. उस जगह गाड़ियां धीमी हो जातीं हैं. उन्हें पता था कि सीआरपीएफ के जवान अभ्यास के बाद यहीं से लौटने वाले हैं.

आतंकवादियों ने बस के आगे एक कार खड़ी कर दी और अंधाधुंध गोलीबारी करने लगे. बताया जा रहा है कि हमलावरों की चपेट में जवानों की पांच बसें आ गई थीं. जाहिर है, जवानों ने उनका सामना किया और दो आतंकवादी वहीं मार डाले गए. लेकिन जो आत्मघाती बनकर ही हमला करने आते हैं, उनका मर जाना हमारे लिए उपलब्धि नहीं हो सकती.

इसके विपरीत, सुरक्षा बलों पर इतना बड़ा हमला चिंताजनक अवश्य है. सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ हुई है और आतंकवादी घुसपैठ के लिए तैयार हैं; इसकी पूरी सूचना है. यही नहीं, 2 जून से आरंभ हो रहे श्री अमरनाथ यात्रा को लेकर हाई अलर्ट और बढ़ाया हुआ है.

आतंकवादियों ने पहले से यात्रा पर हमले की धमकी दी हुई है. हालांकि आतंकवादी हर वर्ष अमरनाथ यात्रा पर हमले की धमकी देते हैं, पर यात्रियों का उत्साह इससे कम नहीं होता. पर इस बात की समीक्षा आवश्यक है कि इतने अलर्ट के बावजूद सीआरपीएफ के काफिले पर वे हमला करने में सफल कैसे हो गए? इस समीक्षा से ही आगे उनके हमले से बचने के पूर्वोपाय के सूत्र निकलेंगे.

 



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