दो को रियो का टिकट
विकास कृष्णन और मनोज कुमार के अगस्त माह में होने वाले रियो ओलंपिक का टिकट कटाने से भारतीय मुक्केबाजी की नाक कटने से किसी हद तक बच गई है.
दो को रियो का टिकट |
इससे पहले सिर्फ शिवा थापा ही ओलंपिक का टिकट कटा सके थे. चार साल पहले लंदन में हुए ओलंपिक में सात पुरुष और एक महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम ने भाग लिया था. पुरुष मुक्केबाजों में तो सिर्फ देवेंद्रो सिंह और विजेंदर सिंह ही क्वार्टर फाइनल तक पहुंच सके थे. वहीं मैरीकॉम ने कास्य पदक जीता था.
इससे चार साल पहले बीजिंग में विजेंदर ने कांस्य पदक जीता था. लेकिन शिवा थापा के ही क्वालीफाई कर पाने पर लग रहा था कि इस बार भारत का मुक्केबाजी में खाता शायद ही खुले. पर अब दो और मुक्केबाजों के क्वालीफाई करने से पदक की उम्मीद की जा सकती है.
विकास को तो ओलंपिक में पहली बार पेशेवर मुक्केबाजों को प्रवेश देने का फायदा मिला है. विकास पेशेवर मुक्केबाज हैं और अभी वह नोएडा के एक मॉल में केन्याई मुक्केबाज निक्सन अबाका से मुकाबला कर रहे थे. पर उन्होंने पेशेवर मुक्केबाजों को भाग लेने की छूट का फायदा उठाकर बाकू (अजरबैजान) में चल रहे विश्व ओलंपिक क्वालीफायर में सेमीफाइनल में स्थान बनाकर रियो का टिकट कटा लिया.
इसी तरह मनोज कुमार ने भी रियो में भाग लेने की पात्रता हासिल की है. मुक्केबाजी की जो हालत है, उसे देखते हुए इसे अच्छा परिणाम माना जा सकता है. बॉक्सिंग फेडरेशन काफी समय तक निलंबित रहा है और मुक्केबाजों को कुछ प्रतियोगिताओं में अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग फेडरेशन के झंडे तले भाग लेना पड़ा है. ऐसे माहौल में आप किसी मुक्केबाज से अच्छे प्रदर्शन की कैसे उम्मीद कर सकते हैं.
इनके बावजूद भारत में बॉक्सिंग के संचालकों ने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि उनकी कुर्सी की लड़ाई से मुक्केबाजी का कितना नुकसान हो रहा है. भारतीय बॉक्सिंग के संचालक यदि समय पर सुधर जाते तो देश के बॉक्सर और रियो के टिकट कटा सकते थे.
भारतीय मुक्केबाजों को प्रेरित करने वाले विजेंदर सिंह के पेशेवर बनने का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. विजेंदर बाद में पेशेवरों को प्रवेश दिए जाने के नियम का विकास की तरह फायदा उठाने में असफल रहे हैं.
इसकी वजह उनके प्रमोटर कार्यक्रम व्यस्त होने की वजह से विजेंदर को रियो जाने की अनुमति देने को तैयार नहीं थे. लंदन में कांस्य पदक जीतने वाली मैरीकॉम के लिए फेडरेशन ने वाइल्ड कार्ड मांगा था, जो नहीं मिल सका.
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