आरक्षण पर आशंका

Last Updated 28 May 2016 04:14:20 AM IST

वही हुआ जिसका अंदेशा था. हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट ने जाट आरक्षण पर रोक लगाकर हरियाणा सरकार को एक बार फिर वहीं संदेश दिया है.


आरक्षण पर आशंका

जिसकी हिदायत न्यायपालिका लंबे समय से कार्यपालिका और विधायिका को देती आ रही है.

संदेश एकदम स्पष्ट है किसरकारें अगर व्यापक सोच-विचार और दूरदृष्टि के बिना सिर्फ तात्कालिक समस्याओं को फिलहाल टालने के मद्देनजर नीतियां बनाएंगी तो उनका यही हश्र होना तय है.

फरवरी में हुए हिंसक जाट आंदोलन का हल निकालने में बुरी तरह नाकाम भाजपा की खट्टर सरकार ने एक विधेयक के जरिए जाट और कुछ अन्य समकक्ष जातियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करके नाराज जाटों को शांत करने का तरीका निकाला था. हालांकि उसे पता था कि जाटों को आरक्षण देने का केंद्र की यूपीए सरकार की अपने कार्यकाल के आखिर में की गई कोशिश सुप्रीम कोर्ट के सामने टिक नहीं पाई थी.

फिर भी, हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के मुताबिक जाटों को आरक्षण देने के लिए न्यायमूर्ति के.सी. गुप्ता की रिपोर्ट को ही आधार बनाया गया जिसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है.

अहम सवाल यह है कि सरकारें अगर गंभीर होती समस्याओं का कोई वास्तविक हल निकालने के बदले यहां-वहां पैबंद जोड़ने का कामचलाऊ रवैया अपनाएंगी तो न तो वह संवैधानिक व्यवस्थाओं के आगे टिक पाएंगे, न उनसे देश का कोई भला होगा. यह रवैया बेहद घातक है और बार-बार अदालती हिदायतों के बावजूद इसका कोई समाधान नहीं निकल रहा है.

गुजरात में भी पाटीदारों की भावनाओं को शांत करने के लिए गुजरात सरकार ने ऐसे ही ऊंची जातियों में कमजोर वगरे के लिए 10 प्रतिशत की आरक्षण की व्यवस्था बनाई. जाहिर है, वह भी अदालती समीक्षा में नहीं टिकेगा. इसलिए इसका कोई स्थायी समाधान तो ढूंढ़ना ही पड़ेगा. समाधान यह नहीं हो सकता कि इन मामलों को अदालती समीक्षा के दायरे से हटा दिया जाए. असल में यह देखना होगा कि आरक्षण की मांग नए क्षेत्रों से उठने की वजहें क्या हैं? क्यों मजबूत समुदाय भी आरक्षण की मांग करने लगे हैं? जाहिर है, वे आर्थिक रूप से लाचार पा रहे हैं.

यह लाचारी अर्थव्यवस्था को मजबूती देकर, रोजगार के अवसर पैदा करके और सबकी पहुंच में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराकर ही दूर की जा सकती है. इसके लिए गहरी अंतर्दृष्टि के साथ नीतियां बनानी होंगी और आर्थिक नीतियों पर नए सिरे से विचार करना होगा.



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