सहारनपुर संदेश

Last Updated 28 May 2016 04:09:32 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सहारनपुर रैली की ओर पूरे देश का ध्यान रहना स्वाभाविक था.


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)

सरकार के दो वर्ष पूरा होने के अवसर का पहला कार्यक्रम और वह भी उत्तर प्रदेश में जहां अगले वर्ष विधान सभा चुनाव है. हालांकि मोदी ने संबोधन को सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल तक सीमित रखा, पर स्वयं को उत्तर प्रदेश का बताकर राजनीतिक संदेश भी देने की कोशिश की.

मोदी ने अपने पूरे भाषण में यह संदेश देने का प्रयास किया कि उनकी सरकार गरीब, किसान, मजदूर, छोटे कारोबारी, समाज के सबसे निचले तबके के कल्याण और विकास को समर्पित है. उन्होंने इस संदर्भ में किसानों के लिए नई बीमा योजना, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना आदि का विस्तार से जिक्र किया.

विपक्ष ने उनके कथनों को हालांकि गलत साबित करने की कोशिश की है, लेकिन अगर गन्ना किसानों के भुगतान के लिए सरकार ने छह हजार करोड़ रुपया बैंकों को दिया है, मुद्रा बैंक से अभी तक साढ़े तीन करोड़ लोगों को कर्ज मिल चुका है..तो सहसा प्रधानमंत्री के दावे पर अविश्वास करने का कोई कारण नजर नहीं आता. यह कहा जा सकता है कि उप्र में गन्ना किसानों का भुगतान एक बड़ा मुद्दा है और प्रधानमंत्री ने मिलों को चेतावनी देकर उनका समर्थन पाने की रणनीति अपनाई है. सामने चुनाव को देखते हुए यह अस्वाभाविक नहीं है.

किंतु प्रधानमंत्री का मूल फोकस देश को यह विश्वास दिलाने पर था कि उन्होंने चुनाव पूर्व जो वायदे किए उसे पूरा करने के लिए उनकी सरकार पूरी मेहनत कर रही है और पांच वर्ष पूरा होते-होते वह उनकी कसौटियों पर खरे उतरेंगे.

मोदी का चुनाव पूर्व एक बड़ा वायदा भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का था. हालांकि भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध बड़ी और व्यापक कार्रवाइयां अभी सामने नहीं आई हैं, पर उनका यह दावा सच है कि उनकी सरकार पर दो वर्षो में किसी तरह के भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं. मोदी यह भी कहते रहे हैं कि बगैर लोगों के सहयोग के वे बदलाव नहीं ला सकते और उन्होंने एक करोड़ से ज्यादा लोगों द्वारा रसोई गैस सब्सिडी का परित्याग करने को एक उदाहरण के रूप में पेश किया.

निश्चय ही लोगों के अंदर सरकार की पहल पर त्याग का यह एक उत्साहवर्धक उदाहरण है और इसे ध्यान में रखते हुए मोदी ने डॉक्टरों से महीना में एक दिन गरीबों का मुफ्त में उपचार करने की अपील की. देखना है अपील का कितना असर होता है, किंतु सरकार के दो वर्ष पूरा होने के अवसर पर यह पहल निश्चय ही स्वागतयोग्य है.



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