चीन में राष्ट्रपति

Last Updated 27 May 2016 05:38:49 AM IST

राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी की यह पहली चीन यात्रा है. यह यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब भारत और चीन के संबंध सतह पर तो एकदम सामान्य है.


चीन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

लेकिन अंदर ही अंदर रणनीतिक स्तर पर घोर प्रतिस्पर्धा की स्थिति है.

अभी दो-तीन पहले ही भारत का ईरान से चाबहार बंदरगाह पर समझौता हुआ है, जिसे चीन की रणनीति का जवाब माना जा रहा है.

स्वाभाविक ही चीन इससे खुश नहीं होगा. इसी बीच, भारत ने नक्शा कानून का मसौदा तैयार किया है, जिसमें भारत के नक्शे को गलत दिखाने पर जेल और भारी जुर्माना का प्रावधान है.

चीन के कारण उसके समर्थक कई संस्थाएं अरुणाचल को भारत का हिस्सा नहीं दिखाते. चीन के वीटो से भारत का जैश ए मोहम्मद के प्रमुख आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव गिर गया, जिसकी भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई. खबरों में कहा गया है कि राष्ट्रपति मुखर्जी चीन के राष्ट्पति शि जिनपिंग के साथ बातचीत में आतंकवाद एवं अजहर का मुद्दा भी उठाएंगे. देखते है क्या होता है.

लेकिन मुखर्जी ने अभी तक वहां ज्यादातर आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर ही चर्चा की है. भारत-चीन व्यापार मंच की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने चीन के निवेशकों को अनुकूल वातावरण का भरोसा दिलाते हुए उन्हें सरकार के मेक इन इंडिया और अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया है. चीन के साथ व्यापार का संतुलन भारत के प्रतिकूल है. यह एक बड़ा मुद्दा दोनों देशों के बीच है.

मुखर्जी ने कहा कि हम चीन के बाजार में भारतीय उत्पादों की अधिक पहुंच चाहते हैं, जिससे द्विपक्षीय व्यापार में संतुलन लाया जा सके, जो अभी चीन के पक्ष में झुका हुआ है. राष्ट्रपति ने ग्वांगदोन और कांचीपुरम के बीच ईस्वी सन से पहले सीधे समुद्री मार्ग से संपर्कों का जिक्र करते हुए कहा कि यह भारत और चीन के लिए अपने पुराने संपर्कों को मजबूत करने और नए रिश्तों के लिए हाथ मिलाने का एक शानदार समय है.

इस तरह देखा जाए तो मुखर्जी की कूटनीति अभी तक चीन को यह विश्वास दिलाने का है कि वह उसके साथ आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को संतुलित रूप से जितना संभव हो, आगे बढ़ाने का पक्षधर होने के साथ उसके जो पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं, उनको पुनर्जागृत करना चाहता है. राष्ट्रपति का विश्वास है कि संस्कृति पर जोर देकर वह अन्य विवादों के हल के लिए उपयुक्त जमीन बनाने में मदद मिलेगी. देखिये इस सकारात्मक सोच का परिणाम क्या निकलता है.



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