संकल्प से सुगमता

Last Updated 26 May 2016 05:10:56 AM IST

विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रपट-2016 के मुताबिक, भारत कारोबार सुगमता के लिहाज से 12 पायदान ऊपर आया है.


संकल्प से सुगमता

यह उत्साह से भर देने वाला घटनाक्रम है, और मोदी सरकार इस प्रयास में है कि अगले तीन-चार साल में भारत विश्व के शीर्ष तीस देशों में शुमार हो जाए. जिस प्रकार से भारत को संभावनाओं से भरपूर देश के तौर पर देखा जाता रहा है, उसे देखते हुए यह कोई मुश्किल मंसूबा भी नहीं है.

करना इतना भर है कि बुनियादी ढांचे में सुधार लाया जाए. नवोन्मेष पर ज्यादा ध्यान दिया जाए. बुनियादी ढांचे में सुधार का जहां तक सवाल है, तो अरसे से इस तरफ ध्यान देने की बात कही जाती रही है. न केवल कारोबारी सुगमता के लिहाज से बल्कि रोजगार सृजन की दृष्टि से भी इस क्षेत्र को चिह्नित किया गया. बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ ही संपर्क सुविधा बढ़ाने का मसला भी करीबी से जुड़ा रहा है.

चूंकि भारत अब कारोबार सुगमता की डगर पर तेजी से बढ़ चलने के संकल्प से बंध गया है, इसलिए उसके लिए जरूरी है कि बुनियादी ढांचा और संपर्क सुविधा बढ़ाने पर पहले से कहीं ज्यादा संजीदगी से ध्यान दे. इसी प्रकार नवोन्मेष का भी मसला है.

मोदी सरकार ने सत्ता में आने के साथ ही युवाओं को नया कारोबार आरंभ करने की गरज से प्रेरक माहौल बनाना शुरू कर दिया था. हम देख रहे हैं कि युवा नया रोजगार करने के लिए प्रेरित-उत्साहित हो रहे हैं.

सरकार ने दिवालिया कानून, ई-कारोबार मंच को मंजूरी के लिए एक व्यवस्था के तहत लाने जैसे कदम उठाए हैं. राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण भी बनाया जा रहा है. इसके अलावा, कई विधेयकों के मंजूर होने से कारोबार सुगमता वाले देशों की सूची में भारत का कद बढ़ा है. फिलहाल, 189 देशों की इस सूची में भारत 130वें स्थान पर है.

उसने इस सूची के पहले 30 देशों में शामिल होने का मंसूबा बांधा है. वह भी अगले तीन-चार साल के भीतर. यकीनन यह लक्ष्य बेहद कठिन मालूम पड़ता है. लेकिन यह इतना दुष्कर भी नहीं. कारोबार सुगमता से देश में वैश्विक पूंजी आने की स्थितियां साजगार बनती हैं.

सो, जरूरी है कि कर-प्रणाली आसान और सरल हो. सड़क  और रेल संपर्क बेहतर से बेहतर हो. कारोबारी नियम-कायदों में पारदर्शिता हो. और सबसे बढ़कर जरूरी है इच्छा शक्ति.



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