फारसी रिश्तों के फायदे

Last Updated 25 May 2016 04:14:41 AM IST

अरसे से हमारे देश में एक कूटनयिक सोच रही है कि ईरान से संबंध हमारे लिए कई तरह के द्वार खोलता है.


फारसी रिश्तों के फायदे

हालांकि हाल के दौर में, खासकर उदारीकरण की नीतियों के बाद से अमेरिका से संबंधों पर जोर बढ़ा तो इन संबंधों की उपेक्षा भी की गई. ईरान में खासकर इस्लामी क्रांति के बाद पश्चिमी दुनिया से उसका तनाव बढ़ा और फिर इस्लामी आतंकवाद के दौर में ईरान भी खासकर पश्चिम प्रभाव वाली विश्व बिरादरी से अलग-थलग पड़ गया.

ईरान का रवैया प्रचलित इस्लामी आतंकवाद से हमेशा अलग या एक मायने में उसका विरोधी भी रहा है. इसकी वजह इस्लामी जगत के अपने अंतद्र्वद्व हैं. शिया बहुल होने के नाते ही नहीं, पुरानी सांस्कृतिक विरासत की भी वजह से ईरान का रवैया पाकिस्तान और अरब देशों से अलग रहा है. चाबहार बंदरगाह के समझौते से एक बार फिर यह साबित हो रहा है कि ईरान हमारे लिए पाकिस्तान के बरक्स उपयोगी साबित होगा.

इससे चीन के भारी समर्थन से तैयार हो रहे पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह से ही गुजरने की मजबूरी खत्म नहीं होगी, बल्कि बरास्ते ईरान हमारे लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों से भी आवाजाही आसान हो जाएगी. ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों का ऊर्जा के मामले में महत्त्व उसी तरह बढ़ता जा रहा है, जैसे अभी तक अरब देशों का तेल मामले में रहा है. चाबहार के जरिए हमारे लिए अफगानिस्तान में भी निवेश आसान हो जाएगा. गौरतलब है कि गुजरात में कांडला बंदरगाह से चाबहार की दूरी उतनी ही है, जितनी दिल्ली से मुंबई की दूरी.

इससे हमें पाकिस्तान के रास्ते जाने की जरूरतें खत्म हो जाएंगी. अगर समुद्री पाइपलाइन भी बिछा दी जाती है तो हमें ईरान से गैस की आपूर्ति सीधे मिल सकेगी. हमारी पाकिस्तान के रास्ते प्रस्तावित ईरान-अफगानिस्तान से होकर आने वाली पाइपलाइन पर निर्भरता घट जाएगी. चीन की इस उपमहाद्वीप में बढ़ती आकांक्षाओं पर भी कुछ काबू पा सकेंगे. इससे भी बड़ा फायदा यह है कि विश्व बिरादरी में हमें पाकिस्तान के बरक्स ईरान का समर्थन हासिल होगा.

पाकिस्तान के अफगानिस्तान पर अपना दबदबा बनाने के लिए की जाने वाली हरकतों के मामले में भी इससे मदद मिलेगी. अफगानिस्तान के मौजूदा शासक भी इसके लिए भारत और ईरान की ओर ज्यादा झुक रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान से उन्हें तालिबानी खतरों की ज्यादा आशंका है. वैसे, भी फारस से हमारे पुराने सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं और अब वे फिर मददगार साबित हो रहे हैं.



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