आतंकी साजिश
पुलिस के दावों को स्वीकार किया जाए तो राजधानी दिल्ली, इसके आसपास के क्षेत्र तथा उत्तर प्रदेश को कई भीषण आतंकवादी हमलों से बचा लिया गया है.
आतंकी साजिश |
दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार तीन और हिरासत में लिए गए 10 संदिग्धों में से अगर कुछ भी जैश ए मोहम्मद के आतंकी है या किसी तरह उनसे जुड़े हैं तो यह बहुत बड़ी सफलता है.
दिल्ली के अलावा लोनी तथा एक संदिग्ध हो देवबंद से भी गिरफ्तार किया गया है. 2 दिसम्बर 2016 को पठानकोट हमले के बाद यह साफ हो गया है कि जैश फिर से भारत में आतंकी गतिविधियां चलाने के लिए सक्रिय है.
इसलिए हम पुलिस के दावे को नकार नहीं सकते. इनके द्वारा दिल्ली के अलावा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की दूसरी जगहों तथा उत्तर प्रदेश की कुछ जगहों की रेकी भी कर ली गई थी. इनकी दो सामूहिक बैठकें भी इनका नेता माने जाने वाले साजिद की अगुवाई में हुई थी.
पुलिस का कहना है कि साजिद बम बनाते समय घायल होने के बाद अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुआ था और यहीं से उनको सफलता मिली. हालांकि दिल्ली पुलिस का दावा है कि वह एक साल से इनके पीछे थी. 18 अप्रैल को इलेक्ट्रोनिक सर्विलांस से पता चला कि वे हमले की तैयारी में थे. जिन तीनों को गिरफ्तार किया गया है, वह इंटरनेट से बारूदी सुरंग बनाना सीख रहे थे.
ये ह्वाट्सएप से भी एक दूसरे के संपर्क में थे. हालांकि ह्वाट्सएप इनके मोबाइल से डिलीट मिला, लेकिन उसे रीट्रिट करना कठिन नहीं है. हो सकता है, उनसे कुछ और सुराग मिले, लेकिन तत्काल इनकी साजिश विफल हो ही गई है. तो तत्काल दिल्ली, आसपास और उत्तर प्रदेश की कुछ जगहों के लोग राहत की सांस ले सकते हैं.
किंतु आतंकवादी वारदात करने के लिए आंख गड़ाए हुए स्लीपर सेल का इससे अंत हो गया होगा, ऐसा नहीं माना जा सकता. यदि जैश ए मोहम्मद ने स्लीपर सेल बनाना आरंभ कर दिया है या इसके प्रमुख मौलाना मसूद अजहर से प्रभावित होकर आतंकवादी वारदात करने के लिए कुछ लोगों पर पागलपन सवार हुआ है तो इनकी संख्या ज्यादा हो सकती है. ये दिल्ली में हो सकते हैं, अन्यत्र भी हो सकते हैं.
इसलिए पुलिस के साथ आतंकवाद निरोध के काम में लगी अन्य सुरक्षा एजेंसियों को ज्यादा सतर्क और सक्रिय होना होगा. आखिर पुलिस की ही बात मानी जाए तो ये इतने समय से सक्रिय थे और पकड़ में तब आए जब बम लगने से एक घायल हुआ और संबंधित अस्पताल ने चुपचाप पुलिस को फोन कर दिया.
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