पूरी धार्मिक आजादी
अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने भारत में सभी नागरिकों को संविधान प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के संबंध में जो सवाल खड़े किये हैं, उसका पूरे देश में जबरदस्त विरोध हुआ है.
पूरी धार्मिक आजादी |
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता को इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज करना पड़ा. यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की गई जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी प्रस्तावित अमेरिकी यात्रा के दौरान वहां की संसद को सम्बोधित करना है.
इसलिए भी इस रिपोर्ट को जारी करने की टाइमिंग और उस संस्था की मंशा अनेक आशंकाओं को जन्म देती है. जाहिर है, प्रधानमंत्री मोदी को कड़े शब्दों में इस रिपोर्ट का खंडन करना पड़ेगा.
दरअसल, पहली ही नजर में यह रिपोर्ट झूठ का सबसे बड़ा पुलिंदा है. लेकिन यह समझने की जरूरत है कि आखिर अमेरिका इस तरह की रिपोर्ट क्यों जारी करता रहता है, जो भारतीय समाज को भ्रमित करता है और विश्व में भारत की छवि को धूमिल करता है?
सवाल यह भी है कि क्या अमेरिका को इस तरह की भ्रामक, तथ्यहीन और सतही रिपोर्ट जारी करने का अधिकार है, जो भारतीय समाज के हाशिये पर खड़े एकाध सिरफिरे किस्म के व्यक्तियों की बयानबाजी और मीडिया रिपोर्टों पर आधारित हों? अमेरिकी संस्था को ऐसी किसी भी रिपोर्ट को जारी करने से पहले भारत की बहुलतावादी सामाजिक संरचना की जटिलताएं और वस्तुस्थिति को समझना चाहिए.
यहां की मुख्यधारा कट्टरपंथी ताकतों को लगातार समाज के हाशिये पर धकेलती रही है. अमेरिका और समूचे यूरोप में भी धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की एकाध घटनाएं होती रहती हैं. फिर उन पश्चिमी देशों के बारे में ऐसी रिपोर्ट आखिर क्यों नहीं जारी होती है?
एक मशहूर कहावत है कि इंसान को अपनी पीठ दिखाई नहीं देती. अपने को सभ्य, शिष्ट और सेक्यूलरिज्म का झंडाबरदार बताने वाला अमेरिका ने अफगानिस्तान के सबसे सेक्यूलर और कट्टरता विरोधी शासक नजीबबुल्ला के साथ जो अमानवीय व्यवहार किया, उसे पूरी दुनिया ने देखा. इसी तरह, सद्दाम हुसैन की सेक्युलर नीतियों के चलते ही शिया-सुन्नी समुदाय में संतुलन और सामंजस्य बना रहा पर उनका भी अमेरिका ने क्या हश्र किया, सबको पता है.
इन तथ्यों के बावजूद अमेरिकी रिपोर्ट भारत की राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियों के लिए एक सबक है, जिनके नेता सामाजिक-धार्मिक समरसता में जहर घोलने वाला बयान जारी करते रहते हैं. इन पर लगाम लगाने की जरूरत जताती यह रिपोर्ट एक सख्त टिप्पणी करती है.
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