उज्ज्वल कामना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के धुर पूरब से गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को रसोई गैस बांटने की 'उज्ज्वला' योजना की शुरुआत की.
पीएम मोदी ने उज्ज्वला योजना की शुरुआत की. |
इस योजना के तहत अगले तीन साल में 5 करोड़ रसोई गैस कनेक्शन मुफ्त मुहैया कराए जाएंगे और सरकार के दावे के मुताबिक यह करीब 1.13 करोड़ लोगों के सब्सिडी वापस करने की घोषणा से संभव हो पाया है. प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन राजनैतिक पंडित इसमें चुनावी अर्थ ढूंढ़ सकते हैं; क्योंकि अगले साल उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जो भाजपा के लिए खासा अहम होंगे.
इस चुनावी गणित को छोड़ दें तो खासकर ग्रामीण इलाकों और गरीबों में देश के प्राकृतिक संसाधनों के बंटवारे के लिहाज से भी यह कदम थोड़ा ही सही, पर महत्त्वपूर्ण कहा जा सकता है. हालांकि कोई यह सवाल उठा सकता है जब सबल लोगों ने सब्सिडी छोड़ी तो इस बारे में सोचा गया जो गरीबों का भी वाजिब हक बनता है. उम्मीद की जानी चाहिए की सरकार संसाधनों के बंटवारे जैसे और कदम उठाएगी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता गरीबों का कल्याण है. हालांकि फिर यह सवाल कोई उठा सकता है कि देश में जारी मौजूदा आर्थिक नीतियों की दिशा कारोबार तथा पूंजी निवेश हितैषी हैं. इन्हीं नीतियों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है और देश में बड़े पैमाने पर गैर-बराबरी बढ़ी है.
इन्हीं नीतियों पर जोर देने से तरह-तरह के पर्यावरण संबंधी और घोर जल संकट पैदा हो रहा है. इससे सूखे का दंश भी बड़े पैमाने पर दिख रहा है और किसान लगातार आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं. देश का एक-चौथाई हिस्सा आज सूखे की चपेट में है और सुप्रीम कोर्ट को सरकार को बार-बार हिदायत देनी पड़ रही है कि ग्रामीणों को राहत देने के लिए मनरेगा की रकम जारी की जाए और उन्हें कानून के मुताबिक कार्यदिवस मुहैया कराए जाएं. ऐसे में मौजूदा आर्थिक नीतियों पर पुनर्विचार करना बेहद जरूरी है.
प्रधानमंत्री ने मजदूर दिवस पर यह योजना शुरुआत करते हुए यह भी कहा कि अब \'दुनिया के मजदूरों एक हो\' नारे के बदले नारा यह होना चाहिए कि \'मजदूरों दुनिया को एक करो\'. लेकिन यह तभी संभव होगा जब मजदूरों के हक उन्हें हासिल होंगे. कोई कह सकता है कि भविष्य निधि में ब्याज दर में कटौती और उसे निकालने पर पाबंदी के फैसले को सरकार को भारी विरोध के बाद पलटना पड़ा. जाहिर है, इस दिशा में और ज्यादा सरकारी पहल की दरकार है.
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