Padma Shri Award: सरायकेला की चार्मी मुर्मू पद्मश्री से सम्मानित, 30 साल में लगाए तीस लाख से ज्यादा पौधे

Last Updated 10 May 2024 07:46:18 AM IST

झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के 500 गांवों में पिछले 34-35 वर्षों में 720 हेक्टेयर जमीन पर उगे 30 लाख पेड़ इस बात की गवाही देते हैं कि एक अकेली महिला के संकल्प का परिणाम कितना बड़ा हो सकता है।


Chami Murmu will get Padma shri award

महिला का नाम है चामी मुर्मू, जिन्हें सामाजिक सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों पद्मश्री सम्मान प्राप्त हुआ।

पेड़ लगाने के मिशन में उन्होंने किशोरावस्था से ही खुद को इस तरह झोंक दिया कि खुद का घर-परिवार बसाने तक की फुर्सत नहीं मिली। वह कहती हैं, “मेरा परिवार बहुत बड़ा है। इस परिवार में 30 हजार महिलाएं और 30 लाख पेड़ हैं। इन महिलाओं ने मेरे साथ मिलकर मेरा जन्म सार्थक कर दिया है।”

उन्होंने इस अभियान की शुरुआत 1988 में बगराईसाई गांव में 11 महिला सदस्यों के साथ मिलकर की थी। इलाके की बंजर जमीनों पर पेड़ लगाना शुरू किया। आज इस अभियान से 30 हजार से भी ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं।

पेड़ लगाने और बचाने के व्यापक अभियान के चलते चामू मुर्मू अपने इलाके में लेडी टार्जन के नाम से मशहूर हैं। इस दौरान उन्होंने लकड़ी माफिया से संघर्ष किया। नक्सलियों की गतिविधियों और कई धमकियों के बाद भी उनका हौसला नहीं डिगा।

झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर नामक कस्बे में रहनेवाली 51 वर्षीया मुर्मू बताती हैं, बचपन में स्कूल की किताबों में मदर टेरेसा के बारे में पढ़ा, तभी लगता था कि जीवन वही सार्थक है, जिसमें इंसान के पास एक खास मकसद हो। वह मदर टेरेसा की तरह बनने के सपने देखा करती थीं, लेकिन 10वीं पास करते ही उनके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।

पहले भाई और फिर पिता का आकस्मिक निधन हो गया। वह अपने तीन भाई-बहनों और मां की अभिभावक बन गईं। दूसरे के खेतों में मजदूरी तक करनी पड़ीं। संघर्ष करते हुए परिवार को संभाला, लेकिन जिम्मेदारियों के बीच बचपन में देखा गया सपना मरने नहीं दिया।

तय कर लिया कि शादी नहीं करूंगी और उन्होंने अपनी जिंदगी एक मकसद के लिए समर्पित कर दी। यह मकसद था-पेड़ लगाना और उनकी देखभाल करना।

उन्होंने इसके लिए एक संस्था बनाई। जिसे राज्य सरकार की सामाजिक वानिकी योजना के तहत मिली मदद मिली और अंततः एक नर्सरी की शुरुआत हुई।

वह बताती हैं,“एक लाख से अधिक पौधे लगाने के बाद 1996 में हमें एक बड़ा झटका लगा। गांव के दबंगों ने मेरे पूरे एक लाख पौधे नष्ट कर दिए।

हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के बाद भी हम विचलित नहीं हुए और हमने फिर से उसी जोश के साथ काम करना शुरू कर दिया।''

चामी मुर्मू के इन प्रयासों की गूंज राज्य-केंद्र की सरकारों तक भी पहुंची। वर्ष 1996 में जब उन्हें इंदिरा गांधी वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया, तो उनकी चर्चा दूर-दूर तक होने लगी।

उन्होंने गांव-गांव घूमकर महिलाओं को जागरूक किया। पेड़ लगाने के अभियान ने और गति पकड़ी। समूहों में महिलाएं निकलतीं और किसानों की खाली पड़ी जमीन, बंजर पड़ी जमीन, सड़क-नहर के किनारे पौधे लगातीं।

सरायकेला जिले के 500 गांवों तक यह अभियान फैल गया और 33-34 वर्षों में 720 हेक्टेयर जमीन पर 30 लाख पौधे लगा दिए। उन्हें 2019 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नारी शक्ति पुरस्कार से भी नवाजा।

आईएएनएस
रांची


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