युद्ध नहीं शांति
इस्राइल ने दक्षिणी गाजा के शहर राफा में सैनिक अभियान शुरू कर दिया है। सेना ने सोमवार रात को राफा में हवाई हमले किए जिनमें 23 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई।
युद्ध नहीं शांति |
इस सैन्य कार्रवाई के बाद इस्रइल और फिलिस्तीन के बीच संभावित युद्ध-विराम के रास्ते बंद हो गए हैं। हैरानी की बात है कि इस्रइल के पैरोकार अमेरिका की अनिच्छा और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के विरोध के बावजूद इस्रइल गाजा को पूरी तरह तबाह करने पर आमादा है। विचारणीय प्रश्न यह है कि आखिर. इस्रइल और उसके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को शांति की राह छोड़कर युद्ध के पथ पर चलने की ताकत और प्रेरणा कहां से मिल रही है।
करीब आठ महीने से चल रहे इस युद्ध के बारे में कहा जा सकता है कि इस्रइल अब आत्मरक्षा के लिए नहीं, बल्कि घरेलू राजनीति में बढ़त बनाने के लिए यह युद्ध लड़ रहा है। हमास युद्ध विराम के लिए तैयार है, लेकिन इस्रइल ने यह कहते हुए इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया कि इससे उसकी मुख्य मांगें पूरी नहीं होतीं। गाजा पट्टी के शहर राफा में करीब 14 लाख फिलिस्तीनी शरण लिए हुए हैं जो इस्रइल के ताजा सैन्य अभियान से डरे और सहमे हुए हैं। इनका जीवन संकटग्रस्त है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने चेतावनी दी है कि राफा में जमीनी कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी लेकिन इस्रइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने अपने कान बंद कर रखे हैं। इस्रइल के सैनिक अभियान से जाहिर होता है कि वह इसके जरिए अपने बंधकों को रिहा कराना और हमास के नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करना चाहता है। हालांकि सैन्य कार्रवाई के जरिए बंधकों की रिहाई आसान नहीं है।
हकीकत यह है कि इससे बंधकों की जान को खतरा पहुंच सकता है। वास्तव में युद्ध-विराम और शांति समझौते के रास्तों पर आगे बढ़कर ही बंधकों की सुरक्षित रिहाई संभव है। यह ऐतिहासिक तथ्य है कि हर समस्या का हल सैनिक अभियान नहीं हो सकता। आक्रामक सैनिक अभियान से गाजा के मासूम नागरिक ही मारे जाएंगे। अब तक करीब 35 हजार नागरिक मारे गए हैं। इस्रइल को अपने गॉड फादर अमेरिका से सबक लेना चाहिए कि उसे आखिरकार, अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी क्यों करनी पड़ी। वियतनाम के साथ लड़ाई में उसे क्या हासिल हुआ। बंदूक की गोली से नहीं शांति वार्ता की मेज से ही समस्या का हल निकलेगा। यह सार्वभौमिक सत्य है, जिसे समझा जाना चाहिए।
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